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Last Updated :इंदौर , रविवार, 13 अप्रैल 2025 (22:00 IST)

AI से 32 करोड़ लोगों का भविष्य जुड़ा, वोट देने से बदलेगा शिक्षा का सिस्टम, स्टेट प्रेस क्लब के पत्रकारिता महोत्सव में बोले मनीष सिसोदिया

State Press Club
स्टेट प्रेस क्लब मप्र द्वारा आयोजित 3 दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संबोधित किया।  'एआई और शिक्षा' विषय पर आयोजित सत्र में उन्होंने कहा कि शिक्षा में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से 32 करोड़ लोगों का भविष्य जुड़ा हुआ है। हमारे देश में जब शिक्षा के लिए वोट दिया जाने लगेगा तो शिक्षा का सिस्टम बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि एआई का नया वर्जन आता है तो वह पुराने वर्जन को हटा देता है। ह्यूमन इंटेलिजेंस को कोई नहीं हटा सकता है। इस समय हमारे देश में इस बात पर चर्चा हो रही है कि 150 साल पहले क्या हुआ था और हमें अब क्या करना चाहिए।
शिक्षा में एआई का इस्तेमाल कैसे हो
सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा की शुरुआत हमेशा मां के द्वारा बच्चों को दिए जाने वाले ज्ञान के साथ होती है। हमारे देश में स्कूलों में जब शिक्षा दी जाने लगी तो बताया गया कि हमें अपने हाथ का इस्तेमाल किस तरह करना चाहिए। जब हाथ का इस्तेमाल करने के लिए मशीन आ गई तो फिर बताए जाने लगा कि दिमाग का इस्तेमाल किस तरह किया जाना चाहिए। इसके लिए जब कम्प्यूटर आ गया तो फिर बताए जाने लगा कि बुद्धि का इस्तेमाल किस तरह किया जाना चाहिए। इसके लिए अब एआई आ गया। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अब यह प्रश्न उठता है कि शिक्षा कैसे हो शिक्षा में क्या किया जाए और वह क्यों किया जाए। 
इन कमियों से कैसे तैयार होगा भारत का भविष्य
उन्होंने कहा कि इस समय हमारे देश में स्कूलों में पढ़ने वाले 30 करोड़ विद्यार्थी हैं और उन्हें पढ़ने वाले 2 करोड़ शिक्षक हैं। शिक्षा का भविष्य इन सभी के समक्ष चुनौती बन गया है। देश में मौजूद स्कूलों में से 48% स्कूल ऐसे हैं जिनमें की बिजली नहीं है। शेष बचे 52% में से 44% स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है और 42% स्कूलों में इंटरनेट नहीं है। जिस स्कूल में बिजली है तो वहां पर इंटरनेट नहीं है। अभी भी 42% स्कूलों में बच्चे फर्श पर बैठकर पढ़ते हैं। भविष्य का भारत इन स्कूलों में तैयार हो रहा है। 
साउथ कोरिया में एआई आधारित पाठ्‍यक्रम
सिसोदिया ने कहा कि साउथ कोरिया ने 2025 में अपने स्कूल के पूरे पाठ्यक्रम को री डिजाइन कर लिया है, उसे एआई पर आधारित कर दिया है। फिनलैंड चीन सहित कई देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने पाठ्यक्रम को बदल दिया है। एक समय पर हमारे देश में 99% व्यक्तियों को अलग-अलग कारण से शिक्षा नहीं दी जाती थी। अब जब शिक्षा दी जा रही है तो 12वीं कक्षा में कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर बच्चों को कंप्यूटर लैब में ले जाकर टाइपिंग सिखाई जा रही है।
बदलना होगा बच्चों का माइंडसेट
उन्होंने कहा कि हम बच्चों को नॉलेज देते हैं लेकिन उनका माइंड सेट नहीं देते हैं। यही कारण है कि बच्चा जब 12वीं कक्षा पास कर लेता है तो फिर वह अपनी मार्कशीट को दिखाकर सरकारी नौकरी मांगता है। पिछले दिनों संसद में सरकार के द्वारा यह जानकारी दी गई है कि पिछले 10 सालों में 23 करोड लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन दिया है इसमें से केवल 7 लाख लोगों को नौकरी मिल सकी है। हमने दिल्ली में 5 साल में और पंजाब में 3 साल में हर स्कूल तक बच्चों के बैठने के लिए डेस्क, पीने के लिए पानी और टॉयलेट की व्यवस्था की है। अब इस बात पर फोकस किया जाना चाहिए कि एक मानव दूसरे मानव के साथ कैसे जीएगा। शिक्षा में ऐसा परिवर्तन तभी आ सकेगा जब देश की जनता शिक्षा के आधार पर अपना वोट देगी। 
 
शिक्षा में आया बड़ा परिवर्तन 
एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसर सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि हर समस्या का समाधान देने का काम अब एआई कर रहा है। यह लर्निंग से अपडेट कर रहा है ऐसे में शिक्षक को पढाने का अपना परंपरागत तरीका बदलना पड़ेगा। रेनेसा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वप्निल कोठारी ने कहा कि हम कम जानकारी और कम धारणा के आधार पर निष्कर्ष निकालने का काम कर रहे हैं। अब आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी। शिक्षा और ज्ञान दोनों चीज आई देने लगेगा हमें अपने बच्चों को मानसिक रूप से विकसित करना होगा। उनके हृदय को विकसित करना होगा तभी वह आगे बढ़ सकेंगे। 
 
शिक्षकों को भी दिया जाए प्रशिक्षण
सेज विश्वविद्यालय के डॉक्टर अंकुर सक्सेना ने कहा कि चरित्र निर्माण टीमवर्क और रचनात्मक सोच ही शिक्षा का उद्देश्य है। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लड़ नहीं सकते हैं ऐसे में हमें उसे अपनी शिक्षा में समाहित करना होगा। डॉ. वंदन तिवारी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हम सही उपयोग करें तो वह लाभदायक है हमें यह सोचना होगा कि छोटा बच्चा इसका उपयोग क्या और किस तरह से कर रहा है। 
 
इसे हमें शिक्षा में शामिल करना चाहिए और शिक्षकों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। एमेटी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर जयति शर्मा ने कहा कि जब हमारे अनुभव सीमित होंगे तो हम बच्चों को क्या देंगे और कैसे देंगे। तकनीक से संवेदना की उम्मीद नहीं की जा सकती है। डॉ. उर्जिता ने कहा कि हमें बच्चों को यह सीखना होगा कि यह नई तकनीक उनके लिए किस तरह से लाभदायक है। इसके साथ ही इस तकनीक के नुकसान भी समझाना होंगे।  Edited by: Sudhir Sharma