AI का पत्रकारिता पर असर: अवसर या संकट, स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के पत्रकारिता महोत्सव में उठे सवाल
इंदौर में 12 से 14 अप्रैल तक आयोजित हो रहे भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में इस बार एक बेहद समसामयिक और जरूरी विषय पर फोकस किया गया है 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और पत्रकारिता के बदलते स्वरूप'। यह महोत्सव स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित किया जा रहा है और इस आयोजन का यह 17वां संस्करण है।
आज जब दुनिया भर में एआई तकनीक तेज़ी से हर क्षेत्र में पैर पसार रही है, तब पत्रकारिता भी इस बदलाव से अछूती नहीं रह गई है। इस आयोजन में एआई को न केवल एक तकनीकी क्रांति के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि एक चुनौती और अवसर दोनों के रूप में भी इस पर बात हो रही है।
महोत्सव के पहले दिन यानी शनिवार, 12 अप्रैल को "एआई की आंधी और भविष्य" विषय पर पहला सत्र हुआ। इसमें विभिन्न वक्ताओं ने एआई को पत्रकारों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में बताया। कुछ वक्ताओं ने इस चिंता को साझा किया कि एआई के बढ़ते प्रयोग से पत्रकारों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं कुछ अन्य वक्ताओं ने इसे एक तकनीकी सहयोगी के रूप में देखा, जो पत्रकारिता के काम को और प्रभावशाली बना सकता है।
पत्रकार दिनेश के वोहरा ने अपने वक्तव्य में कहा कि "एआई जरूर एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि है, लेकिन यह इंसान की जगह नहीं ले सकता क्योंकि इंसान ने ही इसे बनाया है।" उन्होंने आगे यह भी कहा कि बदलाव से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे अपनाना चाहिए। "अगर हम परिवर्तन को स्वीकार नहीं करेंगे तो हम रेस से बाहर हो जाएंगे। हमें एआई सीखना भी होगा और उसका सही तरीके से इस्तेमाल भी करना होगा।"
वोहरा ने यह भी स्पष्ट किया कि एआई में भावनाएं नहीं होतीं, और यही सबसे बड़ा अंतर है जो इंसान को मशीन से बेहतर बनाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चीन में बनाए गए डीपफेक मॉडल जब वहां के नेताओं से जुड़ी बातों पर प्रतिक्रिया नहीं देता, तो यह दर्शाता है कि एआई वही कहता है जो उसमें फीड किया गया हो, यह स्वतंत्र सोच नहीं रखता और ईमानदार नहीं होता।
पहले दिन के अन्य सत्रों में "एआई और न्यूज़रूम" और "एआई और चुनाव परिदृश्य" जैसे विषय भी है। पहले सत्र में कई पत्रकारों, मीडिया विशेषज्ञों और पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने शिरकत की और इस विषय पर गंभीर चर्चा की और सुना। 13 अप्रैल को कार्यक्रम में "एआई युग में शिक्षा", "एआई और पॉडकास्ट", और "साइबर सुरक्षा" जैसे विषयों पर बातचीत होगी। वहीं 14 अप्रैल को आखिरी दिन "एआई और रचनात्मकता के खतरे", "एआई एंकरिंग और करियर", तथा "एआई का चिकित्सा पर प्रभाव" जैसे विषयों को केंद्र में रखा जाएगा।
यह आयोजन पत्रकारिता जगत को एक चेतावनी भी देता है और एक अवसर भी कि अगर आप समय के साथ नहीं बदले तो आप पीछे छूट जाएंगे। लेकिन अगर आप इस तकनीकी बदलाव को अपनाकर उसका सदुपयोग करते हैं, तो पत्रकारिता का भविष्य और भी ज्यादा सशक्त हो सकता है।