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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 4 जुलाई 2024 (10:59 IST)

स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु कैसे हुई थी, जानें रहस्य

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Death of Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को कोलकाता में हुआ और उनका निधन 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ कोलकाता में हुई थी। स्वामी जी के निधन को लेकर मतभेद है। कुछ लोग बताते हैं कि उनकी मृत्यु किसी बीमारी के कारण हुई थी और कुछ  लोगों के अनुसार उन्होंने समाधि ले ली थी।ALSO READ: पीएम मोदी की स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि, उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को ताकत देती हैं
 
आज भी स्वामी जी का निधन एक रहस्य है। विवेकानंद पर लिखी गई राजागोपाल चट्टोपाध्याय की किताब और के.एस. भारती की एक अन्य किताब के मुताबिक उनकी मृत्यु शाम को ध्यान करने के दौरान ही हो गई थी। करीब 7 बजे विवेकानंद एक बार फिर ध्यान के लिए चले गए। ध्यान के लिए जाने से पहले उन्होंने अपने साथियों और शिष्यों को विशेष हिदायत दी थी कि उन्हें बीच में डिस्टर्ब न किया जाए। इसी दौरान उनका निधन हो गया। उनके शिष्यों के मुताबिक दरअसल बेलूर मठ (पश्चिम बंगाल) में विवेकानंद ने महासमाधि ली थी। हालांकि यह भी कहा जाता है कि किसी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हुई थी। ALSO READ: Vivekananda Essay: राष्ट्रभक्त स्वामी विवेकानंद पर हिन्दी में निबंध
 
यह भी कहते हैं कि उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था। उनकी अंत्येष्टि बेलूर में गंगा के तट पर चंदन की चिता पर की गई थी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का 16 वर्ष पूर्व अंतिम संस्कार हुआ था। हालांकि विवेकानंद ने अपनी मृत्यु के बारे में पहले की भविष्यवाणी कर रखी थी कि वे 40 वर्षों तक जीवित नहीं रहेंगे। इस प्रकार उन्होंने महासमाधि लेकर अपनी भविष्यवाणी को पूरा किया। स्वामी विवेकानंद की मृत्यु मात्र 39 वर्ष की उम्र में हुई थी। 
 
कहा जाता है कि अपने जीवन के अंतिम दिन यानी 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात: 2-3 घंटे तक ध्यान किया और ध्यानावस्था के दौरान ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली थी, इस तरह 4 जुलाई को उनका निधन हो गया। साथ ही 12 जनवरी को विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर भारत में युवा दिवस मनाया जाता है। ALSO READ: Swami Vivekananda Jayanti: कहीं नहीं पढ़े होंगे स्वामी विवेकानंद के ये 2 रोचक किस्से