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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 12 फ़रवरी 2025 (10:39 IST)

समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु, गुरु रविदास जयंती पर विशेष

समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु, गुरु रविदास जयंती पर विशेष - Sant Ravidas birth anniversary today
Guru Ravidas Jayanti 2025: आज गुरु रविदास की जयंती है। संत रविदास, जिन्हें रैदास के नाम से भी जाना जाता है, 15वीं सदी के एक महान भारतीय रहस्यवादी कवि, संत और समाज सुधारक थे। वे भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने अपनी कविताओं और उपदेशों के माध्यम से समाज में व्याप्त जातिवाद, छुआछूत और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। वे मध्य काल के भारतीय संत कवि सतगुरु हैं और उन्हें संत शिरोमणि संत गुरु की उपाधि भी प्राप्त है।ALSO READ: Ravidas jayanti 2025: गुरु रविदास जयन्ती कब है, जानिए उनके बारे में 5 रोचक बातें
 
प्रारंभिक जीवन : संत रविदास का जन्म माघ शुक्ल पूर्णिमा के दिन वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में एक मोची परिवार में हुआ था। चमार जाति के होने के कारण उनका पुश्तैनी व्यवसाय जूते बनाने का था। उनके पिता का नाम पिता का नाम संतोख दास (रग्घु) तथा उनकी माता का नाम कर्मा देवी (कलसा) था।

रविदास जी का विवाह लोना देवी के साथ हुआ और उनके एक पुत्र हुआ, जिनका नाम विजय दास था। संत रविदास ने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाया। उन्होंने ईश्वर को घट-घट में व्याप्त बताया और कहा कि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए किसी विशेष जाति या धर्म का होना आवश्यक नहीं है।
 
सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान : संत रविदास ने अपने जीवनकाल में समाज को कई महत्वपूर्ण संदेश दिए। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और सभी मनुष्यों को समान मानने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि भगवान की नजर में सभी मनुष्य समान हैं, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों।
 
संत रविदास जयंती का महत्व: संत रविदास का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने समाज को एकता, समानता और प्रेम का संदेश दिया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जयंती हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और उनके अनुयायी उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।
 
संत रविदास की शिक्षाएं : - संत रविदास ने जातिवाद को समाज का सबसे बड़ा अभिशाप बताया और इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हमेशा ही जातिवाद का विरोध किया।
 
- उन्होंने मानव एकता का पाठ पढ़ाया तथा सभी मनुष्यों को समान बताते हुए प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया।
 
- गुरु रविदास ने ईश्वर के प्रति भक्ति को महत्व दिया तथा हर जगह ईश्वर व्याप्त होने की बात बताते हुए सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाया।
 
- संत रविदास ने अपने कर्म को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है।
 
प्रमुख रचनाएं और शिक्षा : संत रविदास की वाणी 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब' में संकलित है, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है। उनकी प्रमुख रचनाओं में 'रैदास की वाणी', 'दोहे' और 'भजन' शामिल हैं।ALSO READ: बुध का शनि की कुंभ राशि में गोचर से होगा 3 राशियों को बंपर लाभ, 3 को होगा नुकसान

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