10 जुलाई: अवतार मेहेर बाबा मौन पर्व
- राजश्री कासलीवाल
मेहेर बाबा ईरानी मूल के भारतीय चिंतक और दार्शनिक थे। मेहर (मेहेर) बाबा एक रहस्यवादी सिद्ध पुरुष थे। कई वर्षों तक वे मौन साधना में रहे। मेहेर बाबा के भक्त उन्हें परमेश्वर का अवतार मानते थे। वे आध्यात्मिक गुरु, सूफी, वेदांत और रहस्यवादी दर्शन से प्रभावित थे। अवतार मेहेर बाबा ने 10 जुलाई 1958 को जो संदेश दिया था, उसमें कहा कि यह ईश्वर की ओर से मानव जाति के लिए एक संदेश है। यह सभी के लिए है, चाहे कोई उस पर विश्वास करे या न करें।
मेहेर बाबा का जन्म 25 फरवरी 1894 में पूना में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम मेरवान एस. ईरानी (मेरवान शेरियर ईरानी) था। वह एस. मुंदेगर ईरानी के दूसरे नंबर के पुत्र थे। जन्म से वे एक परसीयन थे। उनकी बचपन की पढ़ाई क्रिश्चियन हाईस्कूल, पूना तथा बाद में डेकन कॉलेज पूना में हुई थी।
मेहेर बाबा एक अच्छे कवि और वक्ता थे तथा उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था। 19 वर्ष की आयु में उनकी मुलाकात रहस्यदर्शी महिला संत हजरत बाबाजान से हुई और उनका जीवन बदल गया।
इसके बाद उन्होंने नागपुर के हजरत ताजुद्दीन बाबा, केदगांव के नारायण महाराज, शिर्डी के सांई बाबा और साकोरी के उपासनी महाराज अर्थात 5 महत्वपूर्ण हस्तियों को अपना गुरु माना। 7 वर्षों तक उपासनी महाराज के पास ज्ञान प्राप्त करने के बाद वे ईरानी आध्यात्म के उच्च स्तर पर पहुंच गए। तभी से उनके चेलों ने उन्हें मेहेर बाबा नाम दिया, मेहेर जिसका अर्थ होता है महादयालु पिता।
सन् 1925 में अवतार मेहेर बाबा ने मात्र 29 वर्ष की अवस्था में 10 जुलाई से मौन प्रारंभ किया था जो सदैव अखंड रहा। इसीलिए 10 जुलाई को अवतार मेहेर बाबा मौन पर्व दिवस मनाया जाता है। वे कहते थे कि मौन/वाणी संयम हमें मन पर संयम कायम करना सिखाती है। हर रोज अपनी सुविधानुसार सुबह, शाम कभी भी 5 मिनट के लिए मौन रहकर लाभ लिया जा सकता है।
अपनी वाणी पर संयम यानी मौन को प्रारंभ करने की प्रथम सीढ़ी है। अत: धीरे-धीरे हमारी समस्त इंद्रियों पर मौन का संयम धारण करना ही ईश्वर प्राप्ति का सबसे सरल रास्ता है। अत: मेहेर बाबा के भक्त 10 जुलाई को मौन रख कर उनको याद करके प्रार्थना करते हैं।
उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में बाबा के भक्त परमेश्वरी दयाल पुकर ने 1964 ई. में मेहेर मंदिर का निर्माण करवाया था। 18 नवंबर 1970 ई. को मंदिर में अवतार मेहेर बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। यहां पर प्रति वर्ष 18 और 19 नवंबर को मेहेर प्रेम मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा भी मेहेर बाबा के कई मंदिर है। मेहेर बाबा ने 6 बार विदेश यात्राएं भी की।
महाराष्ट्र के अहमदनगर के पास मेहराबाद में मेहेर बाबा का विशालकाय आश्रम हैं, जो मेहेर बाबा के भक्तों की गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। मेहराबाद में बाबा की समाधि है। इसके पहले मुंबई में उनका आश्रम था। आखिरकार एकांत वास में उपवास और तपस्या करने के दौरान उन्होंने 31 जनवरी 1969 को मेहराबाद में अपनी देह छोड़ दी थी।