आज के आईने में आजादी का चेहरा...
ऋषि गौतम
कभी सोने की चिडिय़ा कहलाने वाले भारत को आजाद हुए 66 वर्ष पूरे हो रहे हैं। गुलामी का संताप क्या होता है यह यहां के लोग भली-भांति जानते हैं। व्यापार करने के बहाने यहां ब्रिटिश हकूमत ने हमारे देश को खूब लूटा क्योंकि उनका मकसद ही हमारे देश को लूटना था। देश को अंग्रेज हुक्मरानों से आजाद करवाने तथा लोगों को बराबरी का हक दिलवाने के लिए कई देशभक्तों ने शहादत दी, साथ ही आजाद भारत के सपने देखे जहां पर सिर्फ खुशहाली हो,पर आज का भारत उन सपनों से बहुत दूर है। आजादी की कीमत वही जानता है जिसने कभी पराधीनता भोगी हो। खुद को कुछ देर के लिए गुलाम समझकर देखिए जिसे बिना आज्ञा अपने घर में भी घूमने की आजादी ना हो,कैसा महसूस होगा जब आपके घर में आपके ऊपर कोई और राज करेगा और आपको सिर्फ उसका आदेश मानना होगा।
सोच कर भी कितना कष्टमयी लगता है,तो जरा सोचिए जिस देश ने 200 साल किसी की गुलामी सही हो उसके लिए आजादी का क्या मतलब होगा। आजाद भारत के लिए 15 अगस्त सिर्फ एक तारीख ही नहीं बल्कि उस आजादी के जश्न का दिन है जिसके लिए कितने ही वीर जवानों ने वीरगति पाई और कितने महानायकों ने जेलों में दिन बिताए और न जाने कितनों ने क्या क्या जिल्लतें झेलीं।