देश के विकास का कौन है असली हकदार
- जे.के.दत्त
देश के भीतर जो भी बदलाव और उन्नति होती है, उसके असल के हकदार दो ही तत्व हैं। पहला, देश का नागरिक और दूसरा प्रशासन। दोनों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व का बोध, मेरिट के आधार पर कार्य, कर्तव्य का बंटवारा और जिम्मेदारी को निर्वहन करने की भावना होने पर हम किसी भी लड़ाई को आसानी से जीत लेंगे। आतंकवाद पर भी इसी के सहारे जीत हासिल की जा सकती है। किसी भी देश की सुरक्षा केवल उसके सुरक्षा बल नहीं कर सकते। इसमें जितना बड़ा योगदान सुरक्षा बल का होता है, उतना ही देश की प्रशासनिक मशीनरी और आम जनता का भी होता है। जरा सोचिए, दहशतगर्द आते हैं और लावारिस बम छोड़ जाते हैं। कुछ समय बाद वहीं बम लोगों के चिथड़े उड़ा देता है, लेकिन ऐसे उदाहरण याद नहीं जब किसी नागरिक ने पुलिस को सूचना देने की जहमत उठाई हो। अलबत्ता ऐसी किसी विस्फोटक घटना के बाद देश में खुफिया तंत्र के फेल होने, सुरक्षा तंत्र के नाकाम होने की खबरों का संसार खड़ा हो जाता है। नई राजनीति शुरू हो जाती है। आखिर यह क्या है? याद रखिए देश की सुरक्षा केवल संगीनों के साए में नहीं हो सकती।
अब हमारे देश में पुलिस, पुलिस बल की संख्या, तैनाती, उनके पास उपलब्ध हथियार को देख लीजिए। उनके प्रशिक्षण को देख लीजिए। मेरे ख्याल में यह इतना नहीं है कि इसके सहारे आतंकवाद, नक्सलवाद, साइबर क्राइम जैसे नए और काफी गंभीर किस्म के अपराधों का सामना किया जा सके।