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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

विश्व में बढ़ता योग का दबदबा

India Independence Day | विश्व में बढ़ता योग का दबदबा
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आजादी के 62 वर्षों में भारतीय दर्शन के छह अंगों में से एक 'योग' की शिक्षा-दीक्षा आश्रम-जंगलों से निकल कर अब क्लास रूम और रिसॉर्टों में पहुँच गई है। भारत की आजादी के बाद योग के स्वरूप और प्रचार-प्रसार में बहुत हद तक बदलाव हो चुका है। पहले योग ऋषि-मुनियों या दार्शनिकों तक ही सीमित था किंतु जैसे-जैसे आधुनिक जीवनशैली में उपजे तनाव और घातक रोगों ने लोगों को जकड़ना शुरू किया योग के महत्व का वैश्विक वर्चस्व और विस्तार कायम होता गया।

योग को पहले चमत्कारी और ढोंगी योगियों की विद्या माना जाता था लेकिन इन 62 वर्षों में 'योग' ने पूरे विश्व में अपने महत्व की पताका फहराकर जहाँ अनेक अन्य तरह के व्यायामों को जन्म दिया वहीं लाखों लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ भी किया।

योग विशुद्ध रूप से शरीर और मन का विज्ञान है। योग के दर्शन को हिंदू ही नहीं दुनिया के प्रत्येक धर्म ने अपनाया है। चाहे वे पाँच वक्त की नमाज, रोजा रखना हो या चर्च में समूह में प्रार्थना करने का उपक्रम हो। जैन धर्म के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत या उपवास की कठिन प्रक्रिया हो या फिर बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य हो या आष्टांगिक मार्ग का दर्शन।

मील के पत्थर : आजादी के आंदोलन के समय स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, महर्षि दयानंद सरस्वती, अभयचरण (प्रभुपाद-इस्कॉन)) और थियोसॉफिकल सोसाइटी के सदस्यों ने पश्चिमी देशों में योग के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी के चलते आगे महर्षि महेश योगी, जिद्दू कृष्णामूर्ति और ओशो रजनीश ने योग विद्या को एक नया आयाम दिया।

बहुत पहले दूरदर्शन पर रोज सुबह योगा क्लास लगती थी जिसमें गुरु सरदारीलाल सहगल और उनके दो शिष्य एक महिला और एक पुरुष मिलकर योगासन सिखाते थे। उक्त कार्यक्रम के खत्म होने के बाद में योग शिक्षक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और डॉली का कार्यक्रम दूरदर्शन पर आना शुरू हुआ जिसमें दर्शकों की समस्याओं का भी समाधान किया जाता था। बाद में 90 के दशक में अन्य टीवी चैनलों की बाढ़ आने के बाद तो योग को भारत में व्यापक प्रचार-प्रसार मिला।

इनके बाद दीपक चौपड़ा, योग गुरु भास्कर नरेंदन और फिर श्रीश्री रविशंकर तथा बाबा रामदेव तक आते-आते योग विद्या विश्व के प्रत्येक भाग में प्रचलित हो गई। आजकल बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने भी योग गुरु बनकर अपने योगासन की डीवीडी को बाजार में उतार दिया है।

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योग का बदलता स्वरूप : भारत ही नहीं भारत के बाहर भी योग दर्शन और आसनों को तोड़मरोड़कर नए तरीके से प्रस्तुत किए जाने का प्रचलन चल पड़ा है। हो सकता है‍ कि कुछ लोग इसका पक्ष लें और कुछ नहीं। अब तो हर कोई योगाचार्य बनने लगा है। आओ जानते हैं कि योग अब किस-किस रूप में विकसित हो रहा है।

बेलिबास योगा: बेलिबास अर्थात नग्न होकर योगा करने का प्रचलन अमेरिका में है जिसके विषय में तर्क दिया जाता है कि कपड़े पहनकर योग करने की अपेक्षा इससे ज्यादा लाभ मिलता है।

ईसाई योगा : ब्रिटेन में योग के साथ जीसस को जोड़कर 'ईसाई योगा' का आविष्कार किया है। कैसे? ''इन द नेम ऑफ द फादर, एंड ऑफ द सन''- वे कहते हैं कि हम सूर्य नमस्‍कार करते तो हैं, लेकिन हमारे लिए सन (सूर्य) नहीं, सन (बेटा) अर्थात जीसस क्राइस्‍ट है।

उधर अमेरिका के मिनेसाटा के मैटोमेडि इलाके में स्थित सेंट एंड्रूयू लूथटन चर्च में सिंडी सेनारिगी की 'क्रिश्चियन योगा' की क्लास में 'योगा डिवोशन' में श्वास क्रिया 'उज्जायी' सिखाई जाती थी और जिसे वह कहती थी कि ये उज्जयी नहीं 'याहवेह' है। बाद में विवाद के चलते इस क्लास को बंद भी कर दिया गया था।

फेशियल योगा : देश-विदेश में प्रचलित फेशियल योगा चेहरे की माँसपेशियों को पुन: जवान बनाने के लिए है। इसके भी कई विशेषज्ञ हो गए हैं। फेस योगा पोस्चर के द्वारा यह संभव है।

एरोबिक्स : 'अंग संचालन' को मोडिफाई कर उसे 'एरोबिक्स' कहा जाने लगा है। आजकल भारत में डांस विथ अंग संचालन अर्थात 'एरोबिक्स' का प्रचलन बढ़ गया है। प्रत्येक शहर में इसकी क्लासेस खुल गई हैं।

पॉवर योगा : हठयोग की कुछ कठिन साधनाएँ हटाकर हठयोग को नया लुक दिया गया है जिसे 'पॉवर योगा' कहा जाने लगा है। पॉवर योगा तेजी से स्लीम होने का कारकर तरीका है। जीरो ‍फिगर के जुनून के चलते इस योगा का प्रचलन भी बढ़ा है।

योग पर विवाद : पहले ब्रिटेन के कट्टरपंथियों द्वारा योग को हिंदुओं का विज्ञान कहकर ईसाइयों को योग से दूर रहने की हिदायत दी थी। फिर अमेरिका की सेंट एंड्रूयू लूथटन चर्च की योगा क्लास को बंद कर दिया गया। दूसरी ओर मलेशिया की शीर्ष इस्लामिक परिषद ने योग के खिलाफ फतवा जारी कर मुसलमानों को इससे दूर रहने को कहा है।

भारत में भी योग को लेकर देवबंद ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि नमाज में ही योग समाया हुआ है। मुसलमानों को अलग से योग करने की आवश्यकता नहीं। इसके अलावा बाबा रामदेव के बयानों और दावों के चलते भी योग विवाद और चर्चाओं में बना रहा।

योग पर भाष्य : योग पर लिखा गया सर्वप्रथम सुव्यवस्थित ग्रंथ है-योगसूत्र। योगसूत्र को पातंजलि ने 200 ई.पूर्व लिखा था। इस ग्रंथ पर अब तक हजारों भाष्य लिए गए हैं, लेकिन कुछ खास भाष्यों में व्यास भाष्य, तत्त्ववैशारदी, योगवार्तिक, योगवार्तिक और भोजवृत्ति का नाम आता है। इसके बाद आधुनिक संतों ने जो लिखा वह बहुत ही महत्व का है। उक्त संतों में विवेकनंद, कृष्णमूर्ति, ओशो, महर्षि महेश योगी, आचार्य श्रीराम शर्मा, श्रीश्री रविशंकर और बाबा रामदेव की किताबें पढ़ी जाने लायक हैं।

योग का पेटेंट : आयुर्वेद की औषधियों के बाद पश्चिमी देशों द्वारा योग के महत्व को जैसे-जैसे समझा जाने लगा वैसे-वैसे व्यापारियों की गिद्ध नजर इस पर पड़ने लगी। सन 2007 में अमेरिका पेटेंट और व्यापार चिह्न कार्यालय (यूएसपीटीओ) ने अब तक योग से संबंधित लगभग 168 योग उपकरणों के पेटेंट करा रखे हैं।

महानियंत्रक पेटेंट डिजाइन तथा व्यापार चिह्न डाटाबेस से यह पता चलता है कि यूएसपीटीओ ने मुख्यत: योग संबंधी यंत्रों एवं उपकरणों जैसे कि योग संबंधी गद्दों, ग्रिप ब्लॉक, योग संबंधी मोजे, स्ट्रेचिंग यंत्र आदि में 168 पेटेंट को स्वीकृति प्रदान की है। इसी प्रकार योग संबंधी उपकरणों पर लगभग 3700 व्यापार चिह्न हैं, जिन्हें यूएसपीटीओ द्वारा पंजीकृत एवं लंबित व्यापार चिह्न डाटाबेस में सूचीबद्ध किया गया है। इस संबंध में वाणिज्य और उद्योग मंत्री अश्वनी कुमार ने राज्यसभा में सैयद अजीज पाशा के प्रश्न के लिखित उत्तर में विस्तृत जानकारी दी थी।

योग का व्यापार : भारत ही नहीं विदेशों में भी योग अब एक बहुत बड़ा व्यापार बन चुका है। आध्यात्मिक गुरुओं के अलावा प्रबंधन क्षेत्र के लोग भी अब देश-विदेश में योग केंद्र स्थापित करने में लगे हैं। अब तो ज्यादातर योगाचार्य योग को बेचने में लगे हैं। इसके लिए उन्होंने योग को ग्लैमराइज लुक देकर भव्य तामझाम के साथ 'योगा क्लास' और 'योगा रिसॉर्ट' को लोगों में विज्ञापनों के द्वारा प्रचारित करना शुरू कर दिया है।

भारत में जहाँ बाबा रामदेव योग संबंधी व्यापक प्रचार, प्रसार और व्यापार में लगे हैं वहीं अमेरिका में 2005 से ही 'नेशनल एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चन योगा टीचर्स द्वारा योग से संबंधित किताबें, ऑडियो और वीडियो का बाजार भी विकसित कर लिया है। इस तरह अमेरिका के बाद ब्रिटेन के चर्च हिंदू प्रार्थना, ध्यान और योग की क्रियाओं को ईसाइयत अनुसार ढालकर योग का व्यापारिक लाभ उठाने में लगे हुए हैं।

बाजारवाद के चलते अब तो देश-विदेश में 'योगा शॉप' भी खुल गई है, जहाँ आप पाएँगे कई रंगों में उपलब्ध मॉडर्न मेट, रंग-बिरंगी नक्काशी की हुई कालीन, म्यूजिक सिस्टम, बुक्स, लड़के और लड़कियों के अलग योगा ड्रेसेस, योगा बेग्स, जलनेति के लिए नेति पॉट, धोति कर्म के लिए धोति, विशेष आसनों के लिए तकिए, गद्दे और लकड़ी के पॉट जैसी अनेक और चीजें हैं, जो बाजार में उपलब्ध हैं।

इन साठ सालों में इक्कीसवीं सदी की शुरुआत होते-होते योग एक बहुत बड़ा कारोबार बन गया। एक अनुमान अनुसार भारत के बाहर योग संपदा का टर्नओवर 2003 में 1 अरब डॉलर और 2008 तक बढ़कर 25 अरब डॉलर सालाना हो गया है।

आज विश्वभर में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ी है। इसी के चलते योग पश्चिमी दुनिया की जीवनशैली का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में निरोग बने रहने और आयु बढ़ाने संबंधी जितने प्रयोग पिछले 6 दशक में हुए हैं उनमें योग को महत्वपूर्ण स्थान मिल गया है। एलोपैथी, होम्योपैथी के अलावा अब लोग योग और आयुर्वेद में ज्यादा विश्वास करने लगे हैं।