23 मई : विश्व कछुआ दिवस, जानें इतिहास और धार्मिक महत्व
विश्व कछुआ दिवस 23 मई को।
कैसे हुई इस दिन की स्थापना।
कछुए का धार्मिक महत्व।
World Turtle Day In Hindi : हर साल 23 मई को पूरी दुनिया में 'विश्व कछुआ दिवस' मनाया जाता है। आइए जानते है इस दिन के बारे में...
आपको बता दें कि कछुओं की प्रजातियों को बचाने और उनकी रक्षा के लिए गैरलाभकारी संगठन अमेरिकन टॉर्ट्वायज रेस्क्यू (एटीआर) की स्थापना सन् 1990 में की गई थी। इस दिन की स्थापना का उद्देश्य विश्व में मौजूद कछुओं की रक्षा करने के लिए तथा उनके बचाव तथा देखरेख को लेकर लोगों की मदद करने के लिए की गई थी।
मान्यता के अनुसार ज्योतिष तथा और वास्तु और फेंगशुई में कछुए को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसे वास्तु दोष निवारण के लिए बहुउपयोगी माना गया है।
इतिहास : वैसे इस दिन की शुरुआत वर्ष 2000 में हुई थी और इसका उद्देश्य लोगों को कछुओं और लुप्त हो रहे उनके आवासों को बचाने और उनकी रक्षा करने में मदद करना है। साथ-साथ उन्हें जीवित रखने और उनको पनपने में मदद करना हैं। इसी कारण इस दिन की स्थापना एक वार्षिक उत्सव के रूप में की गई थी।
हिंदू धर्म में इसे कूर्म अवतार और एक विशाल कछुए के रूप में माना जाता हैं, जिन्होंने भगवान विष्णु का कूर्म अवतार लेकर दानवों से रक्षा की थी। कछुआ को लंबी उम्र का प्रतीक भी माना जाता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार नवीन गृह निर्माण के दौरान जमीन में भूमि दोष पाया जाता है, जिस वजह से घर में क्लेश और तनाव उत्पन्न होते हैं। ऐसे समय में भूमि पर लाल वस्त्र बिछाकर एक मिट्टी का कछुआ लेकर गंगाजल से उस पर छींटे मार कर कुमकुम से तिलक करने के पश्चात् पंचोपचार पूजन तथा धूप, दीप, जल, वस्त्र और फल अर्पित करके संध्या के समय जमीन में 3 फिट गढ्ढा खोद कर मिट्टी के सकोरे में रखकर गाड़ देने से भूमि दोष दूर होता है। इस तरह पूजन के बाद चने का प्रसाद बना बांटना चाहिए।
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