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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 13 मई 2025 (11:19 IST)

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस से जुड़ी 10 खास बातें, जानिए पहली बार कब मनाया गया था ये दिन

International Day of Families in Hindi
International Day of Families in Hindi: परिवार सिर्फ खून के रिश्तों का नाम नहीं है, यह वह भावनात्मक जुड़ाव है जो हमें हर मुश्किल घड़ी में संभालता है। दुनिया के तमाम कोनों में परिवार को जीवन की नींव माना जाता है, और इसी सोच को मन में रखकर हर साल 15 मई को 'अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस' (International Day of Families) मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि चाहे हमारी दुनिया कितनी भी व्यस्त क्यों न हो जाए, परिवार की भूमिका सबसे अहम होती है।
 
संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा घोषित यह दिन दुनिया भर में परिवारों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अहमियत को समझाने और उनकी भलाई के लिए काम करने का प्रतीक है। इस लेख में हम आपके साथ साझा कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस से जुड़ी 10 खास और रोचक बातें जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी कि क्यों "परिवार" सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि पूरी जिंदगी है।
 
1. परिवार दिवस की शुरुआत कब और क्यों हुई?
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को सबसे पहले 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मान्यता दी गई थी और 1994 से इसे आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा। इसका मुख्य उद्देश्य था कि दुनिया भर में परिवारों की अहम भूमिका को उजागर किया जाए और सरकारों का ध्यान उनकी जरूरतों और अधिकारों की ओर आकर्षित किया जाए।
 
2. हर साल की थीम होती है अलग: हर वर्ष इस दिन की एक अलग थीम रखी जाती है, जैसे कि परिवार और जलवायु परिवर्तन, डिजिटल युग में परिवार, लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा आदि। ये थीमें समाज में हो रहे बदलावों के अनुसार तय की जाती हैं ताकि परिवारों को समय के साथ जागरूक और मजबूत बनाया जा सके।
 
3. परिवार समाज की पहली पाठशाला होता है: परिवार वह जगह होती है जहां एक बच्चा बोलना, चलना, प्रेम करना, सहना और समझना सीखता है। समाज में किसी भी व्यक्ति के अच्छे संस्कार, व्यवहार और सोच की शुरुआत घर से ही होती है। इसलिए यह कहा जाता है कि एक मजबूत परिवार ही एक मजबूत समाज की नींव रखता है।
 
4. टूटते परिवारों का असर समाज पर भी पड़ता है: आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में व्यक्तिगत आज़ादी और डिजिटल दुनिया के कारण संयुक्त परिवार तेजी से सिमटते जा रहे हैं। इसका सीधा असर बच्चों की परवरिश, बुजुर्गों की देखभाल और भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र परिवार दिवस के ज़रिए हमें यही संदेश देता है कि व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ पारिवारिक संबंधों को भी प्राथमिकता दें।
 
5. डिजिटल युग में परिवारों को जोड़ने की जरूरत: आजकल हर व्यक्ति मोबाइल या गैजेट्स में व्यस्त है। परिवार साथ होते हुए भी मानसिक रूप से दूर होते जा रहे हैं। इस दिवस के ज़रिए यह प्रयास किया जाता है कि तकनीक का इस्तेमाल रिश्तों को तोड़ने के बजाय जोड़ने के लिए हो। जैसे कि परिवारिक व्हाट्सएप ग्रुप्स, वीडियो कॉल्स, और डिजिटल फैमिली टाइम।
 
6. बुजुर्गों की भूमिका को पहचानने का मौका: परिवार दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने बुजुर्गों को उतना सम्मान और समय दे रहे हैं जितने के वे हकदार हैं? दादा-दादी, नाना-नानी का अनुभव, कहानियाँ और संस्कार किसी भी बच्चे के लिए अमूल्य होते हैं, जिन्हें संरक्षित रखना बेहद ज़रूरी है।
 
7. परिवार का कोई तय आकार नहीं होता: आजकल के आधुनिक समाज में परिवार का मतलब सिर्फ माँ-पिता और बच्चे नहीं रह गया है। सिंगल पैरेंट फैमिली, ग्रैंडपेरेंट्स केयर, LGBTQ+ परिवार, दत्तक परिवार आदि भी समाज में स्वीकार्यता पा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस इन सभी परिवारिक संरचनाओं को समान महत्व देता है।
 
8. कई देशों में सरकारी आयोजन होते हैं: इस दिन को महत्व देने के लिए कई देशों में खास कार्यक्रम, वर्कशॉप्स, परिवारिक मेलें और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं। इनमें परिवारिक मूल्यों, शिक्षा, स्वास्थ्य, और समान अवसरों पर बात होती है। यह दिन जागरूकता फैलाने और नीतियों में सुधार लाने का माध्यम बनता है।
 
9. भारत में भी परिवार की संस्कृति सबसे मजबूत: भारतीय समाज में परिवार को हमेशा एक पवित्र संस्था के रूप में देखा गया है। यहाँ ‘परिवार’ केवल एक बंधन नहीं बल्कि धर्म, कर्तव्य और परंपरा है। संयुक्त परिवारों की परंपरा आज भी गाँवों और छोटे शहरों में जीवित है और यही हमारी सामाजिक जड़ों को मजबूती देती है।
 
10. परिवार से जुड़े रहने का मनोवैज्ञानिक लाभ: परिवार से जुड़े लोग मानसिक रूप से ज्यादा संतुलित, खुश और तनावमुक्त रहते हैं। रिसर्च बताती है कि पारिवारिक जुड़ाव डिप्रेशन, एंग्जायटी और अकेलेपन को कम करता है। साथ ही, जीवन की हर चुनौती का सामना करना आसान हो जाता है जब आपके पीछे एक मजबूत परिवार खड़ा हो। 


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