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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 23 दिसंबर 2024 (12:09 IST)

National Farmers Day 2024 : किसान दिवस आज, जानें चौधरी चरण सिंह के बारे में

National Farmers Day 2024 : किसान दिवस आज, जानें चौधरी चरण सिंह के बारे में - Chaudhary Charan Singh Birth Anniversary
Farmers Day 2024: आज भारतभर में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन प्रतिवर्ष 23 दिसंबर को भारत के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय किसान दिवस के नाम से भी जाता है। 
 
Highlights
  • किसान नेता चौधरी चरण सिंह का जन्म जयंती।
  • राष्ट्रीय किसान दिवस आज।
  • आज देश के पांचवें प्रधानमंत्री की जयंती।
आइए जानते हैं खास बातें- 
 
किसान दिवस का इतिहास : चौधरी चरण सिंह द्वारा किसानों के हित में किए गए कार्यों की वजह से ही सन् 2001 में भारत सरकार ने 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। तथा देश में किसानों के महत्व और देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के बारे में लोगों को जागरूकता को बढ़ाने के लिए वर्ष 2001 के बाद से हर साल किसान दिवस मनाया जा रहा है। वे कहते थे- 'किसानों की दशा बदलेगी, तभी देश बढ़ेगा और किसानों के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले चौधरी चरण सिंह इस दिशा में वे लगातार काम करते रहें। प्रधानमंत्री बने चौधरी चरण सिंह ने कुछ महीनों के लिए किसानों और कृषि क्षेत्र में विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थीं। 

चौधरी चरण सिंह का जीवन परिचय : एक किसान से नेता बने चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। अत: उन्हीं की याद में इस दिन मनाया जाता है। हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक तथा 1925 में आगरा वि.वि. से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी। भारत की अर्थव्यवस्था में किसान यानि अन्नदाता का अहम योगदान है, जिसे कभी भी नकारा नहीं जा सकता। इसी कारण देश के लिए अथक प्रयास करने वाले अन्नदाताओं का इस दिन आभार व्यक्त किया जाता है।
 
चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक उल्लेखनीय कार्य : चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे, अत: जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था तो उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी की लड़ाई भी लड़ी और फिर आजादी के बाद वे किसानों के हित के कामों में जुट गए। उन्होंने भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों शुरू की थी, उनकी राजनीति मुख्य रूप से ग्रामीण भारत, किसान और समाजवादी सिद्धांतों पर केंद्रित थी। 
 
चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री बनने से पहले 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहें, हालांकि उनका कार्यकाल छोटा था, लेकिन इस वक्त भी किसानों के हित में उन्‍होंने बड़े-बड़े फैसले लिए। उनके द्वारा विधानसभा में पेश किया गया कृषि उपज मंडी विधेयक, जिसका प्रमुख उद्देश्य डीलरों की मार के खिलाफ किसानों के कल्याण की रक्षा करना था। 
 
जब उन्होंने एक कृषि मंत्री के रूप में बागड़ोर संभाली, तो सबसे पहले ज़मींदारी प्रथा खत्म करने का निर्णय लिया और इसके बाद किसान ट्रस्ट की स्‍थापना की और ग्रामीणों को शिक्षित कर एकजुटता बढ़ाने का फैसला किया। चूंकि वे स्वयं किसान परिवार से ही थे, अत: ऐसे में किसानों की स्थिति से अच्छी तरह अवगत होने के कारण उन्‍होंने किसानों को समर्थन देने की भरपूर कोशिश की। तब 1979 में बजट तैयार किया गया, तो किसानों की मांगों का विशेष ध्यान रखते हुए जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ किसानों को एक साथ लाने में भी उनकी मुख्य भूमिका रही। तथा इसके बाद जमींदारी उन्मूलन अधिनियम को स्पष्ट रूप से लागू किया गया।
 
चौधरी चरण सिंह का निधन कब हुआ था : ईमानदारी की मिसाल रहे चौधरी चरण सिंह का निधन 29 मई 1987 को हुआ था। और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले इस महान नेता के अकाउंट में उनकी मृत्यु के समय मात्र 470 रुपए थे। चौधरी चरण सिंह को स्वतंत्र भारत के एकमात्र प्रमुख किसान नेता तथा आज भी देश के प्रसिद्ध किसान नेता के रूप में जाना जाता है। आज का दिन किसान अन्नदाता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
 
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