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Written By WD feature Desk

तंबाकू से दूरी, है जरूरी: पैसिव स्मोकिंग से हर साल होती है सवा लाख मौतें

31 मई विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर विशेष

shalby hospital dr
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31 May World No Smoking Day: इंदौर। तम्बाकू सेहत के लिए हानिकारक है! यह चेतावनी जगह-जगह लिखे होने के बाद भी लोग तम्बाकू का व्यापक रूप से इस्तेमाल करते हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2020 में दुनिया की कुल 22.3% आबादी ने तंबाकू का इस्तेमाल किया जिसमें 36.7% पुरुष और 7.8% महिलाएं शामिल है।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया, 2016-17 के मुताबिक केवल भारत में लगभग 267 मिलियन वयस्क (कुल वयस्कों की आबादी का 29%) तम्बाकू का उपयोग करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि लोगों को अभी तक भी तम्बाकू और इससे होने दुष्प्रभावों के बारे में या तो जानकारी नहीं है या कम है। लोगों को इस विषय में जानकारी देने और रोकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस साल विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की थीम 'तंबाकू उद्योग में बच्चों को जाने से रोकना' रखी गई है।
 
तंबाकू और धूम्रपान करने से होने वाले नुकसान को लेकर शैल्बी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर के जानेमाने डॉक्टरों ने अपनी अपनी राय से लोगों को अवगत कराया। 
 
शैल्बी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नयन गुप्ता के अनुसार, "तंबाकू से जो भी बीमारियों सामने आ रही हैं उनमें सबसे ज्यादा कैंसर की बीमारी है। इनमें भी पहले नंबर पर ओरल कैंसर है, वहीं इसके बाद लंग कैंसर, खाने की नली का कैंसर, पेट का कैंसर, ब्लड कैंसर शामिल हैं। इनके अलावा बहुत सारे मरीजों में तंबाकू की वजह से दमा, सीओपीडी, अंधापन, कोरोनरी हार्ट डिजीज, गैंग्रीन जैसी बीमारियां भी हो रही हैं। तम्बाकू से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी है। इसके लिए आप निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सहारा ले सकते हैं। हर किसी के अपने ट्रिगर पॉइंट होते हैं जिससे धूम्रपान की इच्छा होती है। ऐसे में अगर आप धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं, तो इन ट्रिगर से बचना सबसे अच्छा है। अपने आहार में अधिक सब्जियों और फलों को शामिल करना शुरू करें। शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहें और अपने ध्यान को भटकाने की कोशिश करें। अगर आप धूम्रपान छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, तो अपने करीबियों के साथ इसे साझा करें और उन्हें भी अपनी इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए कहें।“
 
कैंसर सर्जन डॉ. संजोग जायसवाल के अनुसार, "भारत मुंह के कैंसर के मामलों में दुनिया भर में पहले स्थान पर है और इस भयानक बीमारी का मुख्य कारण तंबाकू का सेवन है। यह चिंताजनक है कि युवा पीढ़ी, खासकर गुटखा, मावा, थैली, खैनी और जर्दा जैसे खतरनाक तंबाकू उत्पादों की ओर तेजी से बढ़ रही है। इससे बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है कि तंबाकू उत्पादों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाए। बच्चों को छोटी उम्र से ही तंबाकू के खतरों के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। उन्हें इसके हानिकारक प्रभावों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के बारे में सतर्क किया जाए। यह याद रखना जरूरी है कि तंबाकू से होने वाली बीमारियों का इलाज मुश्किल होता है। इसलिए, बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है।"
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. निमेश दाहिमा के अनुसार, "तंबाकू का सेवन सदियों से पूरे समाज के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। यह न केवल सेवन करने वालों के लिए बल्कि उनके आसपास के लोगों के लिए भी खतरनाक है, क्योंकि सिगरेट का धुआं पास में मौजूद लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है। तम्बाकू से हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है, जिसमें लगभग सवा लाख लोग ऐसे हैं जो धूम्रपान या तम्बाकू का सेवन भी नहीं करते ये केवल पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं। बच्चों को तंबाकू के सेवन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील माना जाता है। तंबाकू की लत लगने से उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि बाधित हो सकती है। अगर युवाओं में तंबाकू के सेवन को रोका नहीं गया, तो यह पूरे देश के लिए एक बड़ा बोझ बन जाएगा।"
सीएओ डॉ. अनुरेश जैन एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. विवेक जोशी के अनुसार, 'तम्बाकू न केवल देश के स्वास्थ्य को बल्कि अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर रहा है शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर ने तम्बाकू के खिलाफ जंग छेड़ी है जो अनवरत जारी रहेगी। तम्बाकू उपयोग एक व्यापक स्वास्थ्य समस्या है, हमारा मिशन है समाज को इस विषय में जागरूक करना और उचित जानकारी प्रदान करना। तम्बाकू का सेवन न केवल सामाजिक, आर्थिक बल्कि पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित करता है। हम लोगों को यह समझना आवश्यक है कि तम्बाकू से स्वास्थ्य और समाज दोनों प्रभावित होते हैं। तम्बाकू छोड़ने का प्रयास कठिन हो सकता है, लेकिन यह संभव है और हमें इसे करने की आवश्यकता है।'
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