होली की 5 परंपराएं 6, 7 और 8 मार्च को जरूर निभाएं
होली का त्योहार बहुत ही रोचक और खुशियों देने वाला त्योहार है। इस पर्व पर सभी लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं। हर प्रदेश में और हर क्षेत्र में इस पर्व को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। इस बार 6 और 7 को होलिका दहन रहेगा। 7 और 8 को धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा। 12 मार्च 2023 को रंगपंचमी का पर्व रहेगा।
1. गमी वाले घर की पहली होली : कुछ राज्यों में इस दिन उन लोगों के घर जाते हैं जहां गमी हो गई है। उन सदस्यों पर होली का रंग प्रतीकात्मक रूप से डालकर कुछ देर वहां बैठा जाता है। कहते हैं कि किसी के मरने के बाद कोईसा भी पहला त्योहार नहीं मनाते हैं। इसलिए समाज के लोग उस घर में होली के रंग के छींटे डालते है।
2. गिलकी के पकोड़े : इस दिन रंग खेलने के बाद शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। पकवान में पूरणपोली, दही बड़ा, गुजिया, रबड़ी खीर, बेसन की सेंव, आलू पुरी, खीर आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
3. नाच गाना : कई लोग नृत्य एवं गान का मजा लेते हैं। इस लोग नृत्य, गान, लोकगीत और होली गीत गाते हैं। गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। स्थानीय भाषाओं में बने होली के गीतों में कुछ ऐसे गीत हैं जो सदियों से गाए जा रहे हैं।
4. ठंडाई : कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं। आदिवासी क्षेत्र में इस दिन ताड़ी भी पीते हैं।
5. होली मिलन समारोह : इस दिन होली का समारोह आयोजित करके लोग खूब मजे करते हैं। इस दिन कई स्थानों से जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में ड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। इसके लिए सभी अपने अपने स्तर पर तैयारी करते हैं। इस दिन सभी लोग अपनी शत्रुता छोड़कर एक दूसरे के गले मिलते हैं। इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर मनमुटाव दूर करते हैं।