क्लियोपेट्रा इतिहास में एक ऐसी रहस्यमय शख्सियत के रूप में दर्ज हैं जिनके रहस्य पर से परदा हटाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे जितनी सुंदर और सेक्सी थीं उससे कहीं ज्यादा वे चतुर, षड्यंत्रकारी और क्रूर भी थीं। उनके कई पुरुषों से सेक्स संबंध थे। वे राजाओं और सैन्य अधिकारियों को अपनी सुंदरता के मोहपाश में बांधकर उनको ठिकाने लगा देती थी। इतिहासकार मानते हैं कि उन्होंने एक सर्प से खुद को अपने वक्ष स्थल पर कटवाकर आत्महत्या कर ली थी और कुछ मानते हैं कि उनकी मौत मादक पदार्थ के सेवन से हुई थी।
रोम की तीन ताकतें : क्लियोपेट्रा को दुनिया की सबसे अमीर और सुंदर औरत माना जाता था। वे तीन ताकतवर पुरुषों की प्रतिद्वंद्वी थीं- जूलियस सीजर, मार्क एंथोनी और ऑक्टेवियन। जूलियस सीजर ने उन्हें मिस्र की रानी बनने में मदद की थी।
अनेक कलाकारों ने क्लियोपेट्रा के रूप-रंग और उसकी मादकता पर कई चित्रकारी और मूर्तियां गढ़ीं। साहित्य में वे इतनी लोकप्रिय हुईं कि अनेक भाषाओं के साहित्यकारों ने उन्हें अपनी कृतियों में नायिका बनाया। अंग्रेजी साहित्य में 3 नाटककारों- शेक्सपियर, ड्राइडन और बर्नाड शा- ने अपने नाटकों में उनके व्यक्तित्व के कई पहलुओं का विस्तार किया। क्लियोपेट्रा पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। क्लियोपेट्रा का संबंध भारत से भी था। वे भारत के गरम मसाले, मलमल और मोतीभरे जहाज सिकंदरिया के बंदरगाह में खरीद लिया करती थीं।
पांच भाषाओं की ज्ञाता : कहते हैं कि क्लियोपेट्रो को 5 भाषाओं का ज्ञान था और वह एक चतुर नेता थीं। यही कारण था कि वे बहुत जल्दी से किसी से भी जुड़कर उसके सारे राज जान लेती थीं और इसी के चलते उनका सैकड़ों पुरुषों से संबंध था। अपने शासन और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए क्लियोपेट्रो को क्या कुछ नहीं करना पड़ा यह बहुत ही रोचक है।
फराओ वंश की अंतिम शासक : कहते हैं कि क्लियोपेट्रा ने 51 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व तक मिस्र पर शासन किया था। वह मिस्र पर शासन करने वाली अंतिम फराओ थीं। वह अफ्रीकी, कॉकेशियस या युनानी थीं, इस पर आज तक शोध जारी है।
कहते हैं कि जब क्लियोपट्रा 17 वर्ष की थीं तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की वसीयत के अनुसार उन्हें तथा उनके छोटे भाई तोलेमी दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्त हुआ और वह मिस्री प्रथा के अनुसार अपने इस भाई की पत्नी होने वाली थीं, लेकिन राज्याधिकार के लिए संघर्ष के परिणामस्वरूप उन्हें राज्य से हाथ धोकर सीरिया भागना पड़ा।
जूलियस सीजर का साथ : क्लियोपेट्रा ने साहस नहीं खोया। उसी समय जूलियस सीजर अपने दुश्मन पोंपे का पीछा करता हुआ मिस्र आया। वहां उसने क्लियोपेट्रा को देखा और वह उसकी सुंदरता और मादक आंखों पर आसक्त हो गया। क्लियोपेट्रा की सुंदरता के जाल में फंसने के बाद वह उसकी ओर से युद्ध कर उसको मिस्र की रानी बनाने के लिए तैयार हो गया।
जूलियस सीजर ने तोलेमी से युद्ध किया और तोलेमी मारा गया और क्लियोपेट्रा मिस्र के राजसिंहासन पर बैठीं। मिस्र की प्राचीन प्रथा के अनुसार वह अपने एक अन्य छोटे भाई के साथ मिलकर राज करने लगीं, किंतु शीघ्र ही उसने अपने इस छोटे भाई को विष दे दिया। क्लियोपेट्रा के आदेश पर उसकी बहन अरसीनोई की भी हत्या कर दी गई।
जूलियस सीजर से क्लियोपेट्रा के संबंध : माना जाता है कि रोमन सम्राट जूलियस सीजर की रखैल थी। उससे एक पुत्र भी हुआ किंतु रोमनों को यह संबंध किसी प्रकार न भाया। रोमन जनता इस संबंध का विरोध करती रही।
माना जाता है कि रोमन शासक जूलियस सीजर के जनरल मार्क एंथोनी का क्लियोपेट्रा पर दिल आ गया था। वह उसकी सुंदरता से मदहोश हो चला था। क्लियोपेट्रा को जब यह पता चला तो दोनों ने शीत ऋतु एक साथ अलेक्जेंडरिया में व्यतीत की। कहते हैं कि एंथोनी से उनके 3 बच्चे हुए। दस्तावेजों से पता चलता है कि उन दोनों ने बाद में शादी भी की, हालांकि वे दोनों पहले से ही विवाहित थे। एंथोनी के साथ मिलकर उसने मिस्र में अपने संयुक्त रूप से सिक्के भी ढलवाए थे।
44 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर की हत्या के बाद उसके वारिस गाएस ऑक्टेवियन सीजर का एंथोनी ने जब विरोध किया तो उसके साथ क्लियोपेट्रा भी थीं। दोनों ने मिलकर रोमन साम्राज्य से टक्कर लेने की योजना बनाई, लेकिन दोनों को ऑक्टेवियन की फौजों से पराजित होना पड़ा।
क्लियोपेट्रा का पलायन : क्लियोपेट्रा अपने 60 जहाजों के साथ युद्धस्थल से सिकंदरिया भाग आईं। एंथोनी भी उसके पीछे-पीछे भागकर उससे आ मिला। बाद में ऑक्टेवियन के कहने पर क्लियोपेट्रा ने एंथोनी को धोखा दिया। ऑक्टेवियन के कहने पर वह एंथोनी की हत्या करने के लिए तैयार हो गई। एंथोनी को उसने बहला-फुसलाकर साथ-साथ मरने के लिए तैयार किया और वह उसे समाधि भवन में ले गई जिसे उसने बनवाया था। वहां एंथोनी ने इस भ्रम में कि क्लियोपेट्रा आत्महत्या कर चुकी है, अपने जीवन का अंत कर लिया।
क्लियोपेट्रा की मौत एक रहस्य : क्लियोपेट्रा ऑक्टेवियन को भी अपने रूप-जाल में फांसकर खुद की जान बचाकर फिर से मिस्र की सत्ता प्राप्त करने की योजना पर कार्य कर रही थीं। किंतु जनश्रुति के अनुसार ऑक्टेवियन क्लियोपेट्रा के रूप-जाल में नहीं फंसा और उसने उसकी एक डंकवाले जंतु के माध्यम से हत्या कर दी। तब वह 39 वर्ष की थीं। लेकिन क्या यह सच है? क्लियोपेट्रा की मौत के बाद मिस्र रोमन साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि उसने एंथोनी को धोखा नहीं दिया। उसने एंथोनी के सामने ही सर्प से डंक लगवाकर आत्महत्या कर ली थी और जब एंथोनी ने देखा कि क्लियोपेट्रा मर गई है तब उसने भी आत्महत्या कर ली, क्योंकि वे जानते थे कि हमें कभी भी ऑक्टेवियन या उसके सैनिक मार देंगे।
मादक पदार्थ के सेवन से हुई मौत : जर्मनी के एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि प्राचीन मिस्र की विख्यात महारानी क्लियोपेट्रा की मौत सर्पदंश से नहीं, बल्कि अधिक मात्रा में मादक पदार्थों के सेवन से हुई थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ ट्राइवर के इतिहासकार और प्रोफेसर क्रिस्टॉफ शेफर ने अपने आधुनिक शोध में दावा किया है कि अफीम और हेम्लाक (सफेद फूलों वाले विषैले पौधे) के मिश्रण के सेवन की वजह से उनकी मौत हुई थी। क्लियोपेट्रा का निधन अगस्त 30 ईसा पूर्व में हुआ था और हमेशा से यही समझा जाता रहा है कि उनकी मौत कोबरा सांप के काटने से हुई थी।
समाचार-पत्र 'टेलीग्राफ' ने क्रिस्टॉफ के हवाले से कहा, 'महारानी क्लियोपेट्रा अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर थीं और इस बात की संभावना कम ही है कि उसने मौत के इंतजार में खुद को बदसूरत बनने दिया होगा।' मिस्र के अलेक्जेंडरिया शहर का दौरा करने वाले क्रिस्टॉफ ने वहां कई प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों का अध्ययन किया और सर्प विशेषज्ञों की राय ली। उनका कहना है, 'क्लियोपेट्रा अपने मिथक को बनाए रखने के लिए मौत के समय भी खूबसूरत बनी रहना चाहती थी।'
उन्होंने बताया, 'क्लियोपेट्रा ने संभवत: अफीम, हेम्लॉक और अन्य पदार्थों के मिश्रण का सेवन किया होगा। उस काल में इस घोल को चंद घंटों के भीतर पीड़ारहित मृत्यु के लिए पिया जाता था जबकि सर्पदंश की स्थिति में कई बार प्राण निकलने में कई-कई दिन लग जाते थे।'
क्लियोपेट्रा कॉकेशियन या अफ्रीकी : लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि मिस्र की पूर्व रानी की यूनानी मूल की थीं लेकिन विशेषज्ञों ने उनकी बहन के अवशेषों के आधार पर यह पता लगाया है कि उनके भाई-बहन आधे अफ्रीकी थे। इसका मतलब कि क्लियोपेट्रा यूनानी कॉकेशियन नस्ल की नहीं, बल्कि आधी अफ्रीकी थीं।
पूर्व में बीबीसी ने इस पर एक वृत्तचित्र क्लियोपाट्रा 'पोर्ट्रेट ऑफ ए किलर' को प्रदर्शित किया था। इसमें तुर्की के इफेसस स्थित एक मकबरे में मानव अवशेषों की खोजों का विश्लेषण किया गया है। मकबरे का फोरेंसिक तकनीक के साथ मानव विज्ञान और वास्तुशास्त्रीय अध्ययन करने के बाद विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हुए कि इसमें पाया गया कि नरकंकाल क्लियोपेट्रा की बहन राजकुमारी अरसीनोई का अवशेष है।
इस अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाले ऑस्ट्रियाई विज्ञान अकादमी के पुरातत्वविज्ञानी हाइक थुयेर ने बताया कि जांच से यह पता चला है कि अरसीनोई की मां एक अफ्रीकी थी। यह खुलासा सचमुच में एक सनसनीखेज बात है, जो क्लियोपेट्रा के परिवार तथा क्लियोपेट्रा और अरसीनोई के बीच रिश्तों पर एक नई रोशनी डालता है।
सुंदरता के लिए गधी का दूध : इतिहास में क्लियोपेट्रा का जिक्र बेहद खूबसूरत यौवना के तौर पर किया जाता है और इसके लिए वे गधी के दूध का इस्तेमाल करती थीं। वे नहाने के लिए हर रोज करीब 700 गधी का दूध मंगाती थीं जिससे उसकी त्वचा खूबसूरत बनी रहती थी। हालिया हुई खोज में यह बात साबित हुई है।
तुर्की में हुए एक अध्ययन के अनुसार, एक शोध के दौरान जब चूहों को गाय और गधी का दूध पिलाया गया तो गाय का दूध पीने वाले चूहे ज्यादा मोटे नजर आए। इससे यह स्पष्ट होता है कि गधी के दूध में गाय के दूध की तुलना में कम वसा होता है, जो हर लिहाज से बेहतर होता है। तो फिर कहीं की भी महारानी हो, वह तो ये पसंद करेगी ही।
- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'/ एजेंसियां