Shaligram| धरती पर शालिग्राम एकमात्र जगह नेपाल में ही ही पाया जाता है। अधिकतर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ, काली गण्डकी नदी के तट पर पाया जाता है। जिस तरह से शिवजी का विग्रह रूप शिवलिंग है उसी तरह से श्रीहरि विष्णुजी का विग्रह रूप शालिग्राम है। हाल ही में काली गंडकी से नदी 6 करोड़ साल पुरानी दो विशालकाय शिलाएं अयोध्या लाई गई है जिसे काटकर श्रीराम और सीता की मूर्तियां बनाई जाएगी।
क्या है शालिग्राम | what is shaligram : शालिग्राम को श्रीहरि विष्णु का ही एक साक्षात रूप माना गया है। काले और भूरे शालिग्राम के अलावा सफेद, नीले और ज्योतियुक्त शालिग्राम का पाया जाना तो और भी दुर्लभ है। पूर्ण शालिग्राम में भगवाण विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को शालिग्राम के गुण बताए थे। तुलसीजी का विवाह शालिग्राम के साथ ही होता है। तुलसी पिछले जन्म में वृंदा थीं और उन्होंने ही श्रीहरि विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया था। वैष्णवों के अनुसार यह विष्णुजी का निवास स्थान है।
शालिग्राम के प्रकार | Types of Shaligram: विष्णु के अवतारों के अनुसार शालिग्राम पाया जाता है। यदि गोल शालिग्राम है तो वह विष्णु का रूप गोपाल है। मछली के आकार का है तो यह श्री विष्णु के मत्स्य अवतार का प्रतीक है। कछुए के आकार का है तो यह कच्छप और कूर्म अवतार का प्रतीक है। उभरने वाले चक्र और रेखाएं भी विष्णु के अन्य अवतारों और श्रीकृष्ण के कुल के लोगों को इंगित करती हैं। इस तरह लगभग 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं जिनमें से 24 प्रकार को विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना गया है। माना जाता है कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं।
पूर्ण शालिग्राम | Purna Shaligram : पूर्ण शालिग्राम में भगवाण विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है। यह शालिग्राम घर में रखकर इसकी नित्य पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्मों का पाप कट जाता है। यह बहुत जाग्रत होते हैं। मान्यता है कि घर में भगवान शालिग्राम हो, वह तीर्थ के समान माना जाता है। स्कंदपुराण के कार्तिक महात्म्य में शिवजी ने भी शालिग्राम की स्तुति की है।
शालिग्राम पूजा के लाभ | Shaligram Puja ke fayde ya labha : शालिग्राम को घर में रखने के कई चमत्कारिक लाभ हैं। जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है उस घर में लक्ष्मी का सदैव वास रहता है। शालिग्राम पूजन करने से अगले-पिछले सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति हर ओर से सुखी रहता। शालिग्राम को घर में रखकर इसी नित्य पूजा करना जरूरी रहता है। इसी के साथ ही घर सभी सदस्यों का आचरण भी शुद्ध होना जरूरी है अन्यथा शालिग्राम को घर में नहीं रखना चाहिए।
क्यों हो जाता है व्यक्ति बर्बाद : बहुत से विद्वान मानते हैं कि शालिग्राम का पत्थर ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक स्रोत है। मतलब यह कि यह एक छोटी-सी गैलेक्सी की तरह है। इसमें अपार एनर्जी होती है। इसका प्रभाव घर के आसपास तक रहता है। एनर्जी के इस स्रोत को पवित्र और सकारात्मक बनाए रखना जरूरी है, लेकिन यदि आप इसे किसी भी प्रकार से दूषित करते हैं तो निश्चित ही आपके घर में गृहकलह और घटना-दुर्घटनाएं बढ़ जाएंगी। अच्छी-भली जिंदगी बर्बादी के रास्ते पर चली आएगी। यदि आप खुद को मांस, मदिरा, गाली-गलोच, स्त्री अपमान आदि जैसी बुराईयो से दूर नहीं रखते हैं और उपरोक्त पांच नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपको शालिग्राम को भी घर में नहीं लाना चाहिए। अमृत और जहर एक ही बोतल में नहीं भरे जा सकते।
शालिग्राम की पूजा कैसे करें | Shaligram ki puja kaise kare:
* घर में सिर्फ एक ही शालिग्राम की पूजा करना चाहिए।
* विष्णु की मूर्ति से कहीं ज्यादा उत्तम है शालिग्राम की पूजा करना।
* शालिग्राम पर चंदन लगाकर उसके ऊपर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
* प्रतिदिन शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराया जाता है।
* जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है उस घर में लक्ष्मी का सदैव वास रहता है।
* शालिग्राम पूजन करने से अगले-पिछले सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
* शालिग्राम सात्विकता के प्रतीक हैं। उनके पूजन में आचार-विचार की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।