International family day : परिवार के महत्व और उसकी उपयोगिता को प्रकट करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 मई को संपूर्ण विश्व में 'अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतरराष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित कर की थी। परिवार दो प्रकार के होते हैं। एक एकाकी परिवार और दूसरा संयुक्त परिवार। भारत में प्राचीन काल से ही संयुक्त परिवार की धारणा रही है। आओ जानते हैं परिवार में रहने के फायदे।
संयुक्त परिवार । joint family : संयुक्त परिवार में माता पिता के साथ ही दादा दादी, ताऊ ताई, काका काकी और भाई बहन सभी एक साथ रहते हैं। पिता के माता-पिता को दादी-दादा, पिता के छोटे भाई को काका (चाचा), बड़े भाई को ताऊ कहते हैं। पिता की बहन को बुआ कहते हैं। काका की पत्नी को काकी, बेटी को बहिन और बेटे को भाई कहते हैं। ताऊ की पत्नी को ताई, बेटी को बहिन और बेटे को भाई कहते हैं। इसी तरह मझौले काका की पत्नी को काकी, बेटी को बहिन और बेटे को भाई कहते हैं। संयुक्त परिवार में सामान्यतः 3 और कभी-कभी 4 पीढ़ियों तक के सदस्य होते हैं।
एकल परिवार । nuclear family : इसमें माता-पिता और उनके बच्चे ही साथ में रहते हैं। थोड़ा बड़ा एकल परिवार हो तो दादा दादी भी साथ में रहते हैं। अधिकतर एकल परिवार में 2 से 5 लोग रहते हैं। दादा दादी साथ नहीं रहते हैं। एकल परिवार में साधारणतया 1 या 2 पीढ़ियों के सदस्य होते हैं।
क्यों जरूरी है परिवार | Why is family important?
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संयुक्त परिवार हो या एकल परिवार दोनों ही श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान है।
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परिवार से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
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परिवार यदि बड़ा है तो सभी खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
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परिवार से संयुक्त उर्जा का जन्म होता है। उर्जा दुखों को खत्म करती है। ग्रंथियों को खोलती है।
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कुटुम्ब की भावना से सब तरह का दुख मिटता है।
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परिवार में बच्चों का लालन-पालन और मानसिक विकास अच्छे से होता है
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परिवार में वृद्धजन का अंतिम समय भी शांति और खुशी से गुजरता है।
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परिवार में पारिवारिक भावना, प्रेम एवं एक दूसरे का सम्मान करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।
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परिवार में बच्चे दादा-दादी, काका-काकी, बुआ आदि के प्यार की छांव में खेलते-कूदते और संस्कारों को सीखते हैं।
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संयुक्त या एकल परिवार से ही संस्कारों का जन्म होता है।
ऐसे जन्मता है परिवार में प्रेम | This is how love is born in the family-
यदि आप घर के सदस्यों से प्रेम नहीं करते हैं तो आपसे धर्म, देश और समाज से प्रेम या सम्मान की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
1.धर्म से सदा जुड़े रहने से संयुक्त परिवार में प्रेम पनपता है। धर्म से जुड़े रहना का तरीका है- एक ही ईष्ट बनाकर नित्य प्रतिदिन 'संध्यावदन' करना। सत्संग से धर्म को जानना।
2.घर के सभी सदस्य मिलकर सप्ताह में एक बार परमेश्वर की प्रार्थना करें या ध्यान करें।
3.घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर ही भोजन करें। साथ बैठ कर भोजन करने से एकता और प्रेम बढ़ता है।
4.घर के सभी सदस्य एक दूसरे से हर तरह के विषयों पर शांतिपूर्ण तरीके से वार्तालाप करें। किसी भी सदस्य पर अपने विचार न थोपें।
5.घर में हंसीखुशी का माहौल रहे इसके लिए सभी को अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। घर में हर तरह के मनोरंजन के साधन रखें।
6.घर की अर्थव्यवस्था में सभी एक-दूसरे का बराबर सहयोग करें।
7.कुल परंपरा, रिवाजों का पालन करें।
8.संपत्ति और पूंजी का सभी पर अधिकार समझे। रिश्तों के बीच कभी भी रुपयों को न आने दें। घर का कोई भी सदस्य किसी दूसरे सदस्य से न तो अमीर होता है और न गरीब। सभी खून के रिश्तें होते हैं।
9.माता-पिता, भाई-बहन, बेटी-बेटा और पत्नी के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे।
10.वर्ष में एक या दो बार मनोरंजन या पर्यटन के लिए सभी मिलकर बाहर जाएं।
12.परिवार के सदस्यों को जहां एक दूसरे की बुराई करने से बचना चाहिए वहीं उन्हें घर की स्त्रीयों के मायके की बुराई से भी दूर रहना चाहिए।
13. घर के सदस्य यदि एक-दूसरे की तारीफ और सम्मान करेंगे तो निश्चित ही संयुक्त परिवार में एकजुटता आएगी।
14.परिवार के पुरुष सदस्यों को किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए और स्त्रीयों को अपनी मर्यादा समझना चाहिए।
15.स्त्रीयां अपने पिता और अपने पति के घर में ही रहती है तो सम्मान बरकरार रहता है। दोनों के घर के अलावा और कहीं रात बिताती है तो इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।