शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. Who is Bhadrakali Devi
Written By
Last Updated : शनिवार, 13 मई 2023 (16:21 IST)

Bhadrakali Jayanti कब है? भद्रकाली देवी कौन हैं? कैसे करें पूजा?

Bhadrakali Jayanti कब है? भद्रकाली देवी कौन हैं? कैसे करें पूजा? - Who is Bhadrakali Devi
Maa Bhadrakali : मां भद्रकाली की जयंती ज्येष्ठ माह की एकादशी को मनाई जाती है। मां भद्रकाली की पूजा का प्रचलन दक्षिण भारत में ज्यादा है। इस बार अंग्रेंजी कैलेंडर के अनुसार 15 मई 2023 को भद्रकाली जयंती मनाई जाएगी। आओ जानते हैं कि मां भद्रकाली देवी कौन हैं और कैसे करें इनकी पूजा। पूजा से किस तरह की कृपा प्राप्त होगी।
 
भद्रकाली देवी कौन हैं?
  • माता कालिका के अनेक रूप हैं- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली, महाकाली, श्यामा काली, गुह्य काली, अष्टकाली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है।
  • मां काली के सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं।
  • दस महाविद्या में से एक भद्रकाली का शाब्दिक अर्थ है अच्छी काली, जिनकी पूजा मुख्यतः दक्षिण भारत में होती है।
  • भद्रकाली मां काली का शांत स्वरूप है। इस रूप में मां काली शांत हैं और वर देती हैं।
  • महाभारत शान्ति पर्व के अनुसार यह पार्वती के कोप से उत्पन्न दक्ष के यज्ञ की विध्वंसक देवी हैं।
  • यह भी कहते हैं कि देवी भद्रकाली देवी सती की मृत्यु के पश्चात् भगवान शिव के बालों से प्रकट हुई थीं।
 
कैसे करें मां भद्रकाली की पूजा?
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो देवी का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
 
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद देवी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। 
 
3. पूजन में देवी के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
4. फिर देवी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
 
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
 
6. अंत में आरती करें। जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
 
7. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
 
भद्रकाली माता का मंत्र और स्तुति :
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।
भद्रं मंगलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्योदातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा- जो अपने भक्तों को देने के लिए ही भद्र सुख या मंगल स्वीकार करती है, वह भद्रकाली है।
 
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम्।।
ॐ काली महा काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते
 
देवी को नमस्कार है, महादेवी को नमस्कार है। महादेवी शिवा को सर्वदा नमस्कार है। प्रकृति एवं भद्रा को मेरा प्रणाम है। हम लोग नियमपूर्वक जगदम्बा को नमस्कार करते हैं।
ये भी पढ़ें
Sun transit की 12 बातें एक साथ यहां जानिए