चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक है, जिन्होंने भी इस नीति का पालन किया वह सुखी हो गया है। आचार्य चाणक्य ने धर्म, राजनीति, अर्थ, राज्य, देश, जीवन, स्त्री, पुरुष सभी विषयों पर अपने विचार चाणक्य नीति में व्यक्त किए हैं। चाणक्य के अनुसार कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनके साथ रहने से जीवन नरक के रहने जैसा बन जाता है। अत: तुरंत ही ऐसे लोग और स्थान को छोड़ देने में ही भलाई है।
लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम् ।।
1. मान-सम्मान : आप जिस जगह पर रहते हैं वहां यदि आपको मान सम्मान न मिले बल्कि अनादर हो तो ऐसी जगह पर रहने का कोई मतलब नहीं। तरक्की की पहली शर्त ही है उचित सम्मान। छवि खराब है या छवि खराब करने वाले लोगों के बीच रह रहे हैं तो आप सफल नहीं हो सकते। चाणक्य के अनुसार ऐसे स्थान पर रहना मूर्खता है। चाणक्य कहते हैं कोई भी व्यक्ति छोटा हो या फिर बड़ा हो, सभी का सम्मान करना चाहिए। जहां पर लोग औरतों और अपने से छोटों को सम्मान नहीं देते वहां, पर लोगों को नहीं रहना चाहिए।
2. जहां न हो आजीविका का साधन : ऐसे स्थान को छोड़ देने में ही भलाई है जहां पर आजीविका का काई साधन न हो। न तो नौकरी मिलती हो और न ही व्यापार के लिए कोई गुंजाईश हो। इसलिए किसी दूसरे स्थान पर जाकर जीवन को बेहतर बनाने में ही भलाई है।
3. दयाभाव और उदारता : जिस स्थान पर लोगों में दयाभाव या उदारता का भाव न हो वहां न रहें। जीवन में उसी स्थान पर आप आगे बढ़ सकते हैं जहां पर लोगों में उदारता और दया का भाव हो। सभी लोग एक दूसरे के साथ अच्छे से पेश आते हों। जिन लोगों में उपरोक्त भाव नहीं है ऐसे लोगों को छोड़ देने में ही भलाई है।
4. विपत्ति में नहीं देते हैं साथ : उस स्थान और लोगों से दूर रहें जहां पर लोग एक दूसरे का विपत्ति में साथ नहीं देते हैं। इस प्रकार के स्थानों से दूर रहना चाहिए क्योंकि जब आप पर विपत्ति आएगी तो कोई आपका साथ देने वाला नहीं होगा।
5. बुरे लोगों की संगत : जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है। चाणक्य कहते हैं कि वह मित्र उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है। चाणक्य कहते हैं कि संगत आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जहां अच्छे लोगों का साथ आपको सफलता के मार्ग पर ले जा सकता है, वहीं बुरे लोगों के बीच में बैठना आपके जीवन को कष्टों से भर सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपनी संगत सोच-समझकर चुननी चाहिए।
6. शराब, सिगरेट और तंबाकू : चाणक्य कहते हैं कि नशा चाहे किसी भी चीज का हो यह युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बर्बाद कर सकता है। नशे की लत युवाओं को गलत काम करने को मजबूर कर देती है। और वे अपने साथ अपने संबंधियों को भी मुश्किल में डाल देते हैं। चाणक्य कहते हैं कि इनसे दूर रहें।