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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : गुरुवार, 2 मई 2024 (12:50 IST)

Relationship : लव मैरिज या अरेंज मैरिज, क्या सही है?

Relationship : लव मैरिज या अरेंज मैरिज, क्या सही है? - Difference between love marriage and arranged marriage
Love marriage or arranged marriage : आजकल लव मैरिज करके लीव इन में रहने का प्रचलन भी तेजी से बढ़ रहा है। सोशल मीडिया के दौर में लव होना और ब्रेकअप हो जाना अब आम बात हो चली है। अब लड़के और लड़कियां एक दूसरे को जाने बगैर भी प्यार कर सकते हैं। यह भी कर सकते हैं कि वे लीव इन में रहकर पहले एक दूसरे को जाने फिर विवाह कर लें। परंतु ऐसा होता नहीं है। प्रैक्टिकल लाइफ बहुत अलग होती है। 
 
ऐसा माना जाता है कि विवाह करके एक पत्नी व्रत धारण करना ही सभ्य मानव की निशानी है। हिन्दू धर्म में प्रेम विवाह को गंधर्व विवाह कहते हैं जो कि समाज में कभी मान्य नहीं रहा। इसके अलावा असुर विवाह, राक्षस विवाह, पैशाच विवाह भी समाज में मान्य नहीं रहा। ब्रह्म विवाह, प्रजापत्य विवाह और देव विवाह की समाज में मान्य रहा है।
 
लव मैरिज : आजकल प्रेम वैसा नहीं रहा जैसा किसी जमाने में होता था। अब तो आधुनिकता के नाम पर 'लिव इन रिलेशनशिप' जैसे निषेध विवाह को बढ़ावा देना यानी विवाह संस्था को खत्म कर एक अराजक स्थिति को पैदा करना है जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान लड़की का ही होना है जो कि देखा भी जा सकता है। आज विवाह वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं। रंग, रूप एवं वेष-विन्यास के आकर्षण को पति-पत्नी के चुनाव में प्रधानता दी जाने लगी है, दूसरी ओर वर पक्ष की हैसियत, धन, सैलरी आदि देखी जाती है। यह प्रवृत्ति बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों की इसी सोच के कारण दाम्पत्य-जीवन और परिवार बिखरने लगे हैं। प्रेम विवाह और लीव इन रिलेशन पनपने लगे हैं जिनका अंजाम भी बुरा ही सिद्ध होता है। विवाह संस्कार अब एक समझौता, बंधन और वैध व्याभिचार ही रह गया है जिसका परिणाम तलाक, हत्या या आत्महत्या के रूप में सामने देखने को मिलता है। अन्यथा वर के माता पिता को अपने ही घर से बेदखल किए जाने के किस्से भी आम हो चले हैं। 
 
अरेंज मैरिज : हिन्दू धर्म में अरेंज मैरिज भी स्टेप बाइ स्टेप होती है‍ जिसका पालन करने से ही कोई विवाह सफल हो सकता है। सबसे पहले दोनों पक्ष के लोग एक दूसरे से मिलते हैं। दोनों पक्षों को एक दूसरे का व्यवहार, घर परिवार आदि समझ में आता है तो फिर लड़के और लड़की को मिलाया जाता है। लड़के और लड़की जब एक दूसरे को पसंद करते हैं तब ही तिलक की रस्म की जाती है। तिलक की रस्म के बाद ही सगाई और फिर अंत में विवाह किया जाता है। दोनों पक्ष की सहमति से समान वर्ग के सुयोग्य वर से कन्या का विवाह निश्चित कर देना 'ब्रह्म विवाह' कहलाता है। इस विवाह के असफल होने के चांस बहुत कम होते हैं।
vivah shadi marriage
अरेंज मैरिज और लव मैरिज में अंतर:
  1. अरेंज मैरिज करने से परिवार वालों का साथ मिलता है जबकि प्रेम विवाह में परिवार और समाज के सहयोग की कोई गारंटी नहीं।
  2. अरेंज मैरिज में परिवार और समाज के सभी लोग आपके सुख और दुख में आपके साथ खड़े हो सकते हैं जबकि लव मैरिज में इसकी गारंटी नहीं।
  3. अरेंज मैरिज में लड़का-लड़की एक दूसरे की पसंद नापसंद से अनजान रहते हैं और बाद में वह एक दूसरे को समझने का प्रयास करते हैं जो कि एक अच्छा अनुभव साबित हो सकता है, जबकि लव मैरिज में अक्सर बाद में ही एक दूसरे की असलीयत खुलती है या कहें कि सही चरित्र का पता चलता है।
  4. अरेंज मैरिज में विवाह समारोह का लुफ्त उठाया जाता है जिसमें दोनों ही परिवार के लोग शामिल होते हैं जबकि लव मैरिज में यह संभव नहीं हो पाता है।
  5. लव मैरिज में लड़का और लड़की एक दूसरे के स्वभाव, परिवार, बैकग्राउंड आदि को जान लेते हैं। यदि यह सच होता है तो दोनों एक दूसरे को कम हर्ट करते हैं और एक दूसरे की पसंद नापसंद का भी ख्याल रखते हैं, जबकि अरेंज मैरिज में ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी।
  6. लव मैरिज में कई बार लड़का या लड़की एक दूसरे को झूठ बोलकर या आकर्षण के चलते रिश्तों में आ जाते हैं परंतु जब वे विवाह करते हैं तो फिर धीरे धीरे रिश्तों में खटास आने लगती। इसका अंत बुरा होता है।
  7. लव मैरिज में पति और पत्नी एक दूसरे का वो सम्मान नहीं कर पाते हैं जो कि अरेंज मैरिज में होता है। लव मैरिज में यदि लड़का या लड़की एक दूसरे की स्वतंत्रता को महत्व देते हैं तो यह ज्यादा समय तक चलता है या नहीं यह संभव करता है आपसी विश्वास पर।