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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025 (14:22 IST)

Falgun Maah 2025: फाल्गुन मास का क्या है महत्व और क्यों पुराणों में हैं इसकी महिमा का गान?

Falgun Maah 2025: फाल्गुन मास का क्या है महत्व और क्यों पुराणों में हैं इसकी महिमा का गान? - falgun maas ki mahima in hindi
falgun maas ka mahatva: हिंदू माह मौसम और ऋतुओं पर आधारित है। हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना फाल्गुन मास होता है। फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि और होली ये दो सबसे बड़े त्योहार पड़ते हैं जो कि बहुत ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस माह की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र में आने के कारण ही इस माह का नाम फाल्गुन पड़ा है। 
 
फाल्गुन मास का महत्व:
  • इस महीने से धीरे-धीरे गर्मी के दिन शुरू होने लगते हैं तथा ठंड कम होने लगती है। 
  • फाल्गुन माह के दौरान शिशिर ऋतु यानी पतझड़ आकर जाने जैसा होता है और बसंत ऋतु का आगमन होने लगता है। 
  • शिशिर ऋतु में प्रकृति पर बुढ़ापा छा जाता है। वृक्षों के पत्ते झड़ने लगते हैं। चारों ओर कुहरा छाया रहता है।
  • इस ऋतु से ऋतु चक्र के पूर्ण होने का संकेत मिलता है और फिर से नववर्ष और नए जीवन की शुरुआत की सुगबुगाहट सुनाई देने लगती है।
  • इस माह में शिव, चंद्र, कामदेव और श्रीकृष्ण के साथ ही भगवान श्रीहरि विष्णु के नृसिंह अवतार की पूजा होती है। 
  • इस माह में भक्ति का महत्व और नव जीवन के उत्सव के महत्व को भी प्रदर्शित किया जाता है।
  • फाल्गुल महीने में अपने खान-पान और जीवनचर्या में बदलाव करना बहुत ही खास माना गया हैं, क्योंकि इस माह भोजन में अनाज का प्रयोग कम करके मौसमी फलों का सेवन अधिक करने की मान्यता है।
चंद्रमा: चंद्रमा का जन्म फाल्गुन में मास में होने के कारण इस महीने चंद्रमा की उपासना करने का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म के अनुसार अनेक देवताओं में से एक हैं चंद्र देवता। चंद्र के देवता भगवान शिव है और शिव जी ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण कर रखा है। चंद्रमा का जन्म फाल्गुन में मास में होने के कारण इस महीने चंद्रमा की उपासना करने का विशेष महत्व है। फाल्गुन में पूरे महीने भर में चंद्र देव, भगवान शिव और भगवान श्री कृष्ण की उपासना करना विशेष फलदायी मानी गई है।
 
कामदेव और शिव: यह माह कामदेव और शिवजी कथा से जुड़ा माह भी है। कामदेव ने जब शिवजी की तपस्या भंग की थी तो शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। बाद में जब उन्हें तपस्या भंग करने के कारण का पता चला तो उन्होंने रति को सांत्वना देते हुए कामदेव को प्रद्युम्न के लिए में जन्म लेने का वरदान दिया।
 
श्रीकृष्‍ण पूजा: फाल्गुन माह में भगवान श्री कृष्ण की आराधना का भी विशेष महत्व है, इस माह में विशेषकर भगवान श्री कृष्ण के तीन स्वरूपों की पूजा करना बहुत ही लाभदायी माना जा‍ता है। इसमें श्री कृष्ण के बाल कृष्ण स्वरूप, युवारूप के कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जाती है। बाल कृष्ण रूप की पूजा संतान पाने के लिए, युवा स्वरूप कृष्‍ण का पूजन दांपत्य जीवन मधुर बनाने हेतु और गुरुरूप कृष्ण का पूजन मोक्ष और वैराग्य पाने के लिए ही फाल्गुन के महीने में कृष्ण जी का पूजन अवश्य ही सभी को करना चाहिए।  
 
फाग उत्सव: इस माह में श्रीकृष्ण और श्रीराधा की पूजा की होती है क्योंकि इसी माह में ही फाग उत्सव मनाया जाता है। फाल्गुन मास को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है।
 
नृसिंह पूजा: इस माह में श्रीहरि विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की हिरण्यकश्यप से रखा की थी।
 
होलाष्टक: इस माह में आठ दिन का होलाष्टक का समय रहता जबकि सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य बंद रहते हैं।
 
दान पुण्य: इस माह में दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। जरूरतमंदों को यथाशक्ति के अनुसार शुद्ध घी, सरसों का तेल, मौसमी फल, अनाज, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
पितृ तर्पण का माह: इसके साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
 
गणेश पूजा: फाल्गुल मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश मंदिर में जाकर श्री गणेश की मूर्ति का विधिवत पूजन कर तिल से बने पदार्थों को भोग लगाने की मान्यता है तथा तिल से हवन करने के बाद व्रत पारण का बहुत महत्व है।