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कहानी : बीटेक पास

कहानी : बीटेक पास - B.Tech (Pass)
शहर से सटा हुआ है ग्राम मधु का पुरा। गांव की शहर से दूरी 7-8 किमी है। गांव के प्रधान हैं सूबेदार यादव। पूरे इलाके में उनकी हैसियत सूबेदार की है। पिछले 25 वर्षों से वही प्रधान है मधु का पुरा के। शोहरत का आलम यह है कि 25 किमी दूर से भी प्रधानजी का नाम पूछा जा सकता है।

 
सूबेदारजी की 3 संतानें हैं। बड़े पुत्र दरोगा यादव नाम के अनुरूप पूरे गांव के लिए दरोगा हैं। दूसरे पुत्र हैं खिलाड़ी यादव, जो हमेशा खेलकूद में मस्त रहते हैं और तीसरी है बिटिया कुसुम यादव। जैसा नाम, वैसा गुण, कुसुम की तरह सुंदर, मुस्कराती हुई और अपने व्यक्तित्व की आभा बिखेरती हुई। 
 
पूरे गांव में कुसुम की सुन्दरता और सुन्दर आचार-व्यवहार की चर्चा है और सूबेदार यादव की सबसे प्रिय संतान है कुसुम। सूबेदार साहब कोई भी कार्य कुसुम के पूछे बिना नहीं करते हैं। कुसुम पास के ही डिग्री कॉलेज से बीए कर रही है। बड़ी ही दुलारी-सी बेटी है कुसुम। 
 
सूबेदार यादव की बोलेरो जीप कुसुम के हवाले रहती है। वह डिग्री कॉलेज कुसुम को ले जाने के लिए खड़ी रहती है। कुसुम की जरा-सी फरमाइश पर जलेबी लेने गाड़ी गांव से 5 किमी दूर तरबगंज बाजार चली जाती है। 
 
सूबेदारजी गांव के पुराने बड़े आदमी हैं। पुराना हवेलीनुमा मकान है जिसके सामने महिन्द्रा का ट्रैक्टर खड़ा है। सामने 3-4 गायें, भैसें नाद में भोजन कर रही हैं। 2-4 आदमी हमेशा सामने तख्त पर बैठे राजनीति पर चर्चा किया करते हैं। ब्लॉक प्रमुख बलराम यादव कोई भी कार्य सूबेदारजी के पूछे बिना नहीं करते हैं। 
 
सूबेदार साहब के पास वैसे तो कोई ‍चिंता नहीं, काम-धंधा, खेती-किसानी बढ़िया चल रही है। शहर की राजनीति में भी अच्छी दखल है। पर इधर कुछ दिनों से एक चिंता सूबेदारजी को सता रही है कि कुसुम बिटिया के हाथ पीले करने हैं। चिंता उन्हें तो ज्यादा है ही, धर्मपत्नी कलावती भी सूबेदारजी को रोज ताने मारती है कि 'प्रधानजी, पता नहीं कब तुम बिटिया के हाथ पीले करोगे। इसकी उम्र की सब लड़कियों का विवाह हो गया है और तुम्हें तो कुछ सुध ही नहीं है।'
 
आखिरकार पत्नी के तानों से परेशान हो सूबेदार साहब ने कहा कि वे बहुत जल्दी ही बिटिया के हाथ पीले कर देंगे। कलावती और उन्होंने सभी मित्रों से इसके‍ लिए कह दिया कि योग्य वर श्रीमंत मुझे बताएं। 
 
 

दूसरे दिन ही कुछ मित्रों ने बताया कि चौबेपुर के सुलाकी यादव के पुत्र विकास ने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल कर ली है। बड़ा ही अच्छा लड़का है और डील-डौल और रूप-रंग के क्या कहने! साक्षात कन्हैया है। हां, माखन यादव का लड़का विशाल भी इसी गांव में है जिसने बीटीसी किया है। अब आप जिसे उचित समझें।
 
उन्होंने तुरंत ही संदेशा सुलाकी के यहां भिजवाया कि प्रधानजी वर देखने आना चाहते हैं। सुलाकीजी ने मोबाइल पर उत्तर दिया कि ये हमारा अहोभाग्य है कि आप आ रहे हैं, लेकिन मेरी हैसियत आपके यहां रिश्ता करने की नहीं है। 
 
अरे नहीं सुलाकी भाई, आप किस बात में कम हैं? फिर लड़का तो आपका ‍कोहिनूर है। कल हम आपके यहां आ रहे हैं।
 
तो ठीक है, फिर आइए। उधर से सुलाकी बाबू का जवाब आया और अगले दिन आनन-फानन में सुलाकी बाबू और सूबेदार साहब ने शादी का रिश्ता तय कर लिया।
 
घर आते ही सूबेदार साहब ने कलावती को बताया- देखिए, आप परेशान थी। मैंने बिटिया के रिश्ते की बात पक्की कर ली।‍ सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक पास है लड़का। अपने प्रमुख बलराम यादव के जमाई भी सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक हैं और पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर हैं। क्या कहने हैं उनके। शहर में सबसे बड़ा और सुन्दर मकान है उनका इसलिए मैंने इस रिश्ते को पसंद किया, नहीं तो एक लड़का बीटीसी किए हुए भी था।
 
जी, बहुत अच्‍छा, कह कलावती ने सूबेदार की पसंद पर मोहर लगा दी और पूरी रात दोनों बिटिया की शादी की तैयारी पर बात करते रहे और मुर्गे ने जब कुकड़ू-कू की आवाज दी तो पता चला कि सुबह हो गई है।
 
बड़े ही धूमधाम से शादी हुई। शहर की तमाम नामचीन हस्तियों ने विवाह में हिस्सा लिया और सूबेदार ने सुंदर-सी गाड़ी भी बेटी के साथ विदाई में दी। प्यार और दुलार में पली कुसुम ने आश्चर्यजनक परिवर्तन कर घर का सारा कामकाज संभाल लिया। 
 
उसे जल्द ही पता चल गया कि विकास किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले ठेकेदार के यहां काम करते हैं और पगार भी बहुत कम मा‍त्र 5,000 रु. है, जो कि कुसुम के जेबखर्च से भी कम थी और फिर विकास को शहर में भी रहना पड़ता था, तो वो क्या कुसुम को देगा? और क्या खर्च करेगा?
 
लेकिन फिर भी तमाम बातों को लेकर कुसुम ने माथे पर शिकन नहीं आने दी। गांव की सखियां हंसी-मजाक किया करती थीं कि बड़ी किस्मत वाली है तू, क्या सुंदर लंबा-चौड़ा गबरू जवान मिला है और वह भी बीटेक पास। बड़े भाग्य से ऐसे वर मिलते हैं। ये तेरे 16 सोमवार व्रत का फल है। और कुसुम बिना कुछ बोले मुस्कराकर रह जाती थी।
 
विकास की असलियत को कुसुम ने न मां-बाप को बताया और न किसी रिश्तेदार को। घर के लोगों के पूछने पर वह बस एक छोटा-सा जवाब देती- हां, सब ठीक है। 
 
कुसुम की सास बात-बात में अपने लड़के के बीटेक पास होने की धौंस देती और आज सुबह-सुबह ही कहने लगी कि चौधरी ऐसे ही नहीं आ गए हमारे दरवाजे। मेरा लड़का भी बीटेक पास था। कुसुम ने मुस्कराकर उत्तर दे ही दिया- सही कह रही हैं मांजी। 
 
इधर गांव का दूसरा लड़का विशाल, जो बीटीसी पास था, पास ही प्राइमरी स्कूल में शिक्षक नियुक्त हो गया। पगार भी 20,000 से ज्यादा मिलने लगी, लेकिन विकास की हालत जस-की-तस ही बनी रही। 
 
आज फिर विकास ने शहर ड्यूटी पर जाने से पहले कुसुम को गले लगाया और पूछा कि क्या ला दूं तुम्हारे लिए? फिर ढेरों सामान की लिस्ट गिना दी। कुसुम धीरे से मुस्कराई और 500 का नोट पर्स से निकालकर हाथ में थमाते हुए कहा- रख लीजिए, शहर में खर्चा बहुत है, काम आ जाएगा। और विकास शहर चला गया। 
 
आज सुबह से ही कुसुम घर का काम करने में जुटी हुई थी और सास ताने मारने से बाज नहीं आ रही थी। मेरा लड़का बीटेक पास था, तब चौधरी मेरे घर आए और कुसुम की एक छोटी-सी गलती पर उन्होंने कुसुम पर हाथ उठा लिया और जोर से चिल्लाई कि मैंने बड़ी गलती की, जो तुझ जैसी नासकाटी से अपने बीटेक पास लड़के से शादी कर दी।
 
कुसुम भी इस बार चुप नहीं रही और बड़े जोर से चिल्लाई। यह तो बाबूजी की इच्छा थी इसलिए मैंने शादी कर ली, नहीं तो लात मार दूं ऐसे बीटेक पास को, बीटेक पास को, बीटेक पास को...ऽऽऽ।