खुश है सारा आलम, मां लक्ष्मी की मधुर मुस्कान से।
नव-विकास की दीप ज्योति से, समृद्धि के नए विहान से।।1।।
कालेधन की रोकथाम से, रिश्वत वालों की नोटबंदी से।
कर-ढांचे में मौलिक सुधार से, संशोधनजनित क्षणिक मंदी से।।2।।
आमजन खुश है, विकृतियों पर साहसिक प्रहार से।
चीख रहा है वही कि, जो है परेशान इस मार से।।3।।
वह भी चीख रहा है, जो वर्षों से इनका पोषक था।
जनहित का मुखौटा पहने, जो खुद भी जनधन का शोषक था।।4।।
'उघरे अन्त न होहिं निबाहू।
कालनेमि जिमि रावण-राहू'।। (तुलसी )।।5।।
नव-जागरण का सूर्योदय होना ही है, मोदी के मंत्र से।
निरंतर कसावट से संकल्प-शक्ति से, सुदक्ष शासन-तंत्र से।।6।।
प्रभु! वंशवादी, चापलूस, भ्रमित, अंध-आलोचकों को सन्मति दो।
नेतृत्व की नादानी से, डूबती बूढ़ी पार्टियों को सद्गति दो।।7।।
हर जन-मन में राष्ट्रभक्ति के दीपक का दिव्य प्रकाश हो।
अब तक जितने (काले) उल्लू वाहन थे, लक्ष्मी के उनका नाश हो।।8।।