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इक प्यार का दीप जलाया जाए...

इक प्यार का दीप जलाया जाए... - Diwali Poems
क्यूं न इस दिवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाए।
 
किसी के घर के
बुझे दीप को
रोशन कर अपने दीप से
उसके घर को भी
रोशनी से नहलाया जाए।
 
क्यों न इस दिवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाए।
 
ब्रांड भले न पहनें हम
पर गरीब बच्चों को
दिलाकर कपड़े व पटाखे
उसकी मासूम मुस्कराहट
संग मुस्कुराया जाए।
 
भुलाकर सारे गिले-शिकवे
मिटा मन के भेदभावों को
रूठे हुए अपनों को
आज चलकर
फिर से मनाया जाए।
 
क्यों न इस दिवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाए।
 
बजाय सभी को कहने
अंग्रेजी में 'हैप्पी दिवाली'
बड़ों के पैर छू
बच्चों को गले लगा
हाथों से मिठाई खिलाकर
'शुभ दीपावली' कहा जाए।
 
क्यों न इस दिवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाए।
 
न लगाएं घरों में चाइना की
विद्युत लड़ियों को
कुम्हार भाई से दीये ले
क्यूं न दीपों की माला से
घरों को सजाया जाए।
 
क्यों न इस दिवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाए।
 
लक्ष्मी पूजा के बाद
तिजोरी में रख लक्ष्मी को
नम्रता के भावों और
अपनेपन की ललक को
दिल में जगाया जाए।
 
क्यूं न इस दिवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाए।
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