गुरुवार, 10 अप्रैल 2025
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कविता : वतन के दीये से मनेगी दिवाली...

diwali
वतन के दीये से मनेगी दिवाली, 
सभी लोग मिट्टी के दीपक जलाएं। 
 
बहिष्कृत करे चीन का माल सारा, 
स्वदेशी सभी अब फिर से अपनाएं। 
 
रोजी संग रोजगार चलते रहेंगे, 
यादगार त्योहार को सब मनाएं। 
 
कहीं अब कोई न खरीदेगा उसका, 
क्यों जंजाल जी का अपने बनाएं। 
 
न जाएगा अब बाहर रुपया यहां का, 
समझदार सब हैं बीमारी भगाएं। 
 
फिर सोने की चिड़िया बनेगा देश मेरा, 
देशभक्ति सब में सारे जगाएं।