पहली बारिश, पहला प्यार
ज्योति जैन
आज बारिश,लगती है नई।नए अर्थ समझती है।पहली बारिश पर,मिटटी की सौंधी महक,जैसेप्रथम प्रेम से परिचय।फिर बरसेतो प्रेम-सी हीशीतलताकभी तेज बौछारचुभती तन को,मानो प्रेम की होआक्रामकताऔर जब बदली बरस जाए- तो व्योम उतना हीस्वच्छ और निर्मल, जितना कि प्रेम।स्पर्श बिना मन कोभिगोने का अहसासदेती है पहली बारिश।