दिल ने चाहा बहुत पर मिला कुछ नहीं
काव्य-संसार
देवमणि पांडे दिल ने चाहा बहुत और मिला कुछ नहीं ज़िंदगी हसरतों के सिवा कुछ नहींउसने रुसवा सरेआम मुझको किया जिसके बारे में मैंने कहा कुछ नहींइश्क ने हमको सौगात में क्या दिया जख्म ऐसे कि जिनकी दवा कुछ नहींपढ़के देखीं किताबें मोहब्बत की सब आँसुओं के अलावा मिला कुछ नहींहर खुशी का मजा गम की निस्बत से हैगम अगर ना मिले तो मजा कुछ नहींज़िंदगी मुझसे अब तक तू क्यों दूर हैदरमियाँ अपने जब फासला कुछ नहीं।