संस्कृत दिवस क्यों मनाते हैं, जानिए इस प्राचीन भाषा के बारे में खास बातें
12 August World Sanskrit Day : प्राचीनकाल में पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। श्रावण पूर्णिमा के बाद से पुन: अध्ययन प्रारंभ हो जाता था। इसीलिए प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस मनाया जाता है। आओ जानते हैं इस प्राचीन भाषा की खास बातें।
क्यों मनाते हैं संस्कृत दिवस : संस्कृति भाषा पहले संपूर्ण विश्व की भाषा थी। यह सभी भाषाओं की जननी भाषा है, परंतु वतर्मान में इसको बोलने वाले लोगों की संख्या कम हो चली है। यह अब न तो किसी देश और न ही धर्म की भाषा रही है। यह एक वैज्ञानिक भाषा है। यही कारण है कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत दिवस मनाया जाता है ताकि लोग इस भाषा को पढ़ें, समझे और इस भाषा में रचे गए साहित्य से जुड़े।
1. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार संस्कृत दिवस हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष संस्कृत दिवस 2022 में 11 और 12 अगस्त को मनाया जाएगा।
2. संस्कृत दिवस और रक्षा बंधन का त्योहार एक साथ मनाया जाता है।
3. भारत में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति लगभग 5 हजार साल पहले हुई थी।
4. संस्कृत दिवस 2020 में 3 अगस्त और 2019 में 15 अगस्त को मनाया गया था।
6. विश्व संस्कृत दिवस को संस्कृति में विश्वसंस्कृतदिनम के नाम से जाना जाता है।
7. संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए ही संस्कृत दिवश को मनाया जाता है, क्योंकि यह संपूर्ण भारत की प्राचीन भाषा है जिसे देववाणी या देवभाषा कहते हैं।
8. उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है संस्कृत।
9. पहला विश्व संस्कृत दिवस 1969 में मनाया गया था। सन् 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था।
10. संस्कृत दिवस के दिन कई तरह के कार्यक्रमों और सेमिनार का आयोजन होता है। जिसमें संस्कृत भाषा के महत्व और इसके प्रभाव को दर्शाने के साथ ही संस्कृति के लोकप्रिय श्लोक और कहानियों को भी बताया जाता है।
11. इस दिवस के दौरान संस्कृत वाचन और लेखन की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता।
12. संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा पर इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन से प्राचीन काल के भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की चतुर्दशी तक अध्ययन बंद रहता था और फिर अगले दिन श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था।