मशहूर शायर अनवर जलालपुरी का लखनऊ में 70 वर्ष की उम्र में इंतकाल हो गया। जलालपुरी न सिर्फ आला दर्जे के शायर थे बल्कि मुशायरों के अच्छे संचालक भी थे। इसी खूबी के चलते उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी। 2015 में उन्हें उत्तर प्रदेश के शीर्ष पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ यश भारती सम्मान से भी नवाजा गया था।
मुशायरों की जान माने जाने वाले जलालपुरी ने 'राहरौ से रहनुमा तक', 'उर्दू शायरी में गीतांजलि' तथा भगवद्गीता का उर्दू अनुवाद 'उर्दू शायरी में गीता' पुस्तकें लिखीं। जलालपुरी ने अब तक किए गए गीता के उर्दू अनुवादों में सबसे अच्छा अनुवाद किया था। उन्होंने 'अकबर द ग्रेट' धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे। देश-विदेश में सैकड़ों मुशायरों एवं कवि सम्मेलनों के सफलतापूर्वक संचालन का श्रेय उनको जाता है।
जलालपुरी को इस बात का पूरा विश्वास था कि हिन्दू और मुसलमानों के बीच पनपी दूरियां संवाद से ही घटेंगी। बस अध्यात्म और सूफी रास्ता ही बचा है जिस पर चलकर नफरत से दूर इंसानियत को एकता की राह पर चलाया जा सकता है।
गीता को शायरी की शक्ल में पेश करने वाले जलालपुरी मानते थे कि गीता पर हाथ रखकर न्यायालय में सच बोलने की शपथ ली जाती है, लेकिन गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है, इसमें समस्त वेदों का सार, जीवन जगत, जन्म-मरण, व्यक्ति और सृष्टि के संबंध में अनेक सूत्र हैं, जो सार्वभौम हैं। यह एक दार्शनिक ग्रंथ है। इसे कोई भी धर्म वाला पढ़ सकता है और समझ सकता है। फल की चिंता न करते हुए निरंतर कर्मशील रहना यही गीता का मूल उद्देश्य है।
गीता को समझना और उसका भावानुवाद आसान जबान में शेरो-शायरी के माध्यम से करना बहुत मुश्किल काम है। उर्दू के सरल प्रचलित शब्दों में चयन और फिर गीता की गहराई तक पहुंचने में उनका प्रयोग जिस प्रकार अनवर साहब ने किया वह उनकी प्रतिभा का प्रतीक है। गीता का दार्शनिक पक्ष जनसुलभ शैली में जनसाधारण को उपलब्ध कराना कठिन जरूर है, पवित्र भी है और आवश्यक भी।
वे कहते थे कि उनका उद्देश्य श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा और संदेश उन उर्दू वालों तक और उन मुसलमानों तक पहुंचें जो गीता को एक धार्मिक ग्रंथ तो मानते हैं किन्तु उसमें क्या कुछ लिखा है, उससे बिलकुल अंजान हैं। गीता के पैगाम दुनिया को खूबसूरत और नेक बनाते हुए आत्मा से परमात्मा में मिल जाने की बात करते हैं। यह किताब फल की इच्छा के बिना कर्म पर अमल करने की शिक्षा देती है।
अनवर जलालपुरी ने उर्दू शायरी में गीता नामक पुस्तक में गीता के 701 श्लोक, 18 अध्याय कुल अशआर 1761 का अनुवाद उर्दू में शायरी के माध्यम से किया है। एक कार्यक्रम में अनवर जलालपुरी ने कहा था कि बचपन से ही भगवद् गीता की बातों से गहरा लगाव था। गीता के अनुवाद की ऐसी धुन सवार हुई कि वह किताब की शक्ल में आ गई।
प्रसिद्ध गीतकार डॉ. गोपालदास नीरज ने एक कार्यक्रम में कहा था कि मैंने गीता के हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं के भी कई अनुवाद पढ़े हैं लेकिन जैसा अनुवाद अनवर जलालपुरी ने किया है वैसा मुझे अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिला। नीरज कहते हैं कि सबसे बड़ी सार्थकता गीता की यही होगी कि वो किताब में ही न होकर लोगों की जुबान पर भी हो, जिसे वो गाएंगे भी, गुनगुनाएंगे भी।