एक बार चिंटू इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के ऑफिस के बाहर केले बेच रहा था।
इलेक्ट्रिसिटी विभाग के एक बड़े अधिकारी न पूछा : केले कैसे दिए ?
चिंटू : केले किस लिए खरीद रहे हैं साहब ?
अधिकारी : मतलब ??
चिंटू : मतलब ये साहब कि,
- केले यदि मंदिर के प्रसाद के लिए ले रहे हैं तो 10 रुपए दर्जन।
- वृद्धाश्रम में केले देने हों तो 15 रुपए दर्जन।
- बच्चों के टिफिन में रखने हों तो 20 रुपए दर्जन।
- केले घर में खाने के लिए ले जा रहे हों तो, 25 रुपए दर्जन
- और अगर पिकनिक के लिए खरीद रहे हों तो 30 रुपए दर्जन।
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अधिकारी : ये क्या बेवकूफी है?
अरे भई, जब सारे केले एक जैसे ही हैं तो,
भाव अलग अलग क्यों बता रहे हो ??
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चिंटू : ये तो पैसे वसूली का,
आप ही का स्टाइल है साहब,
मैं तो सिर्फ इस पर अमल कर रहा हूं।
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चिंटू आगे बोला :
- 1 से 100 रीडिंग का रेट अलग,
- 100 से 200 का अलग,
- 200 से 300 का अलग।
अरे आपके पापा की बिजली है क्या ?
आप भी तो एक ही खंभे से बिजली देते हो।
- तो फिर घर के लिए अलग रेट,
- दुकान के लिए अलग रेट,
- कारखाने के लिए अलग रेट...
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अब तो अधिकारी का चेहरा ग़ुस्से में तमतमा उठा,
वो बोल : रख लें अपने केले अपने पास,
मैं तो ये चला....