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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 24 अगस्त 2024 (13:15 IST)

Janmashtami Essay: जन्माष्टमी पर हिंदी में आदर्श निबंध

Janmashtami Essay: जन्माष्टमी पर हिंदी में आदर्श निबंध - Krishna Janmashtami Essay
Janmashtami 2024
 
Highlights 
 
कृष्ण जन्मोत्सव/ जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध कैसे लिखें।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी पर हिन्दी निबंध।
Janmashtami Festival Essay : भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। अत: प्रतिवर्ष भाद्रपद मास में कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव या जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण संतान, आयु, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि देने वाले देवता हैं। अष्टमी के दिन बालरूप कान्हा का पूजन करके हर मनोकामना पूर्ण की जा सकती है। 
 
आइए यहां पढ़ें जन्माष्‍टमी पर हिन्दी में निबंध-
 
प्रस्तावना- प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में सराबोर हो जाता है। भगवान श्री कृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा। 
 
जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि जन्माष्टमी व्रत का विधिपूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।
 
कथा- जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षा बंधन के बाद आनेवाली अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 
 
श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया।
 
कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान श्री विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे कृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। 
 
आयोजन की तैयारी- श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।
 
कई घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखकर पूरा दिन भजन-कीर्तन करते हुए इस पर्व को मनाते हैं। और सभी प्रकार के मौसमी फल, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसी दल, माखन-मि‍श्री, पंचामृत आदि से भगवान को भोग लगा कर रात 12 बजे पूजा-अर्चना करते हैं।
 
प्रतियोगिता और कार्यक्रम: जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिया जाता हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है, वह इनाम का हकदार होती है। दही-हांडी या मटकी फोड़ कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। 
 
निष्कर्ष- श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धानुसार व्रत करें। पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
 
महाभार‍त के समय भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया था। अत: हमें श्री कृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इतना ही नहीं धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार हैं और जन्माष्‍टमी के दिन कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। अत: इस दिन कृष्ण मंत्रों का जाप करने का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती और श्री जयंती आदि नामों से भी जाना जाता है। 

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