माना कि भाषा को लचीला होना ही चाहिए, लेकिन ग्रहण करने में और भ्रष्ट होने में फर्क है। ऑक्सफोर्ड की अँगरेजी ने भी हिन्दी से 'पराठा', 'अचार' और 'लस्सी' ले लिया है, क्योंकि यह बाजार की माँग है और हिन्दी ने स्टेशन ','पेन','ट्रेन' आदि अनेक शब्दों को लिया है, परंतु यह दो सौ वर्षों के अँगरेजी शासनकाल के कारण माना जा सकता है। लेकिन अभी जो आम बोलचाल की हिन्दी भाषा है, कम से कम उसे तो विकृत होने से बचाया जाना चाहिए।