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पुस्‍तक समीक्षा : ‘आशा’ की नजर में कार्टूनिस्‍ट ‘प्राण’ की जिंदगी, उनका सफर

पुस्‍तक समीक्षा : ‘आशा’ की नजर में कार्टूनिस्‍ट ‘प्राण’ की जिंदगी, उनका सफर - meri nazar me pran A book on Cartoonist Pran by asha pran
चाचा चौधरी के जनक प्रसिद्ध कार्टूनिस्‍ट प्राण को देश में कौन नहीं जानता, लेकिन कोई प्राण के बेहद करीब रहने वाला उन पर कोई किताब लिखे तो जाहिर है दिलचस्‍पी बढ़ जाती है। कोई करीबी किताब लिखेगा तो उनके बारे में कई निजी बातें भी पता लगेंगी। 
 
कार्टूनिस्‍ट प्राण की पत्‍नी आशा प्राण ने यही दिलचस्‍पी बढ़ाई है। उन्‍होंने हाल ही में प्राण पर एक किताब लिखी है। नाम है ‘मेरी नजर में प्राण’ बोर्ड पेंटर से पद्मश्री तक का सफर। 
 
इस किताब में आशा प्राण ने उनके बोर्ड पेंटर से लेकर पद्मश्री तक के सफर का सिलसिलेवार ब्‍यौरा दिया है। पाकिस्‍तान के लाहौर में पैदा होने से लेकर मध्‍यप्रदेश के ग्‍वालियर आने तक और फिर दिल्‍ली में मां के साथ बिताए वक्‍त तक। बतौर कार्टूनिस्‍ट अपना करियर शुरू करने से लेकर कॉमिक्‍स की शुरुआत करने तक के सफर की पूरी तस्‍वीर आशा प्राण ने बहुत शिद्दत से खींची है। बेहद साफगोई से उन्‍होंने लिखा कि किस तरह प्राण ने दिल्‍ली में पोस्‍टर बनाने का काम किया और फिर कार्टून और कॉमिक्‍स की दुनिया में प्रवेश किया। 
 
किताब की सबसे अहम बात यह है कि आशाजी ने भी प्राण के संघर्षों को उसी तरह महसूस किया है, जैसे वे खुद उन दिनों में उनके साथ रही हों।
 
किताब में प्राण को, उनके संघर्ष और उनके शिखर को केंद्र में रखा गया है, और खास बात यह है कि लिखते समय वे कहीं भी इस केंद्र से भटकी नहीं हैं। जब कोई इस किताब को पढ़ना शुरू करता है तो अंत तक एक ही सांस में पढ़ जाता है। 
 
प्राण एक संवेदनशील इंसान थे, इसीलिए वे एक श्रेष्‍ठ कार्टूनिस्‍ट भी बन पाए। किताब की शुरुआत में ही जिक्र किया गया है कि किस तरह 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के विभाजन का असर 10 साल के प्राण के मन पर पड़ा। उन्‍होंने अपनी मासूम आंखों से भारत का विभाजन देखा और उन दृश्‍यों को अपने भीतर संजोकर रखा। 
 
एक पत्‍नी की नजर से लिखी गई इस किताब में कहीं भी महसूस नहीं होता है कि यह उनकी पत्‍नी ने लिखी है। प्राण के संघर्ष से लेकर उनकी उपलब्‍धियों, उनके व्‍यक्‍तित्‍व और अंतिम इच्‍छाओं को जानने के लिए इस किताब को जरुर पढ़ा जाना चाहिए। 
किताब: मेरी नजर में प्राण
लेखक: आशा प्राण
प्रकाशन: डायमंड बुक्‍स
कीमत:150 रुपए