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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 5 दिसंबर 2022 (21:10 IST)

एग्जिट पोल: हिमाचल में कांटे का संघर्ष, कांग्रेस के सत्ता में वापसी करने के 4 प्रमुख कारण!

एग्जिट पोल: हिमाचल में कांटे का संघर्ष, कांग्रेस के सत्ता में वापसी करने के 4 प्रमुख कारण! - Exit polls: 4 major reasons why Congress is returning to power in Himachal
हिमाचल प्रदेश के एग्जिट पोल में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर दिखाई जे रही है। हिमाचल प्रदेश को लेकर आए सभी एग्जिट पोल के पोल ऑफ एग्जिट पोल में कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ती हुई दिखाई दे रही है। एग्जिट पोल के अनुमान बता रहे है कि राज्य में कांग्रेस पांच साल बाद एक बार सत्ता में वापसी करने जा रही है। आखिर ऐसे कौन से चार प्रमुख कारण रहे जिसके कारण हिमाचल में कांग्रेस सत्ता में वापसी करने जा रही है इसको भी समझना जरूरी है।

1-हिमाचल में ‘रिवाज’ बदलने की परंपरा-अगर एग्जिट पोल के अनुमान को सही माना जाए तो पता चलता है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पांच साल बाद फिर सत्ता में वापसी करती हुई दिखाई दे रही है। अगर एग्जिट पोल के अनुमान पर चुनाव के नतीजे अपनी मुहर लगाते है तो हिमाचल में पांच साल बाद सरकार बदलने का ‘रिवाज’ इस बार भी बरकरार रहता दिख रहा है।

दरअसल हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल बाद सत्ता बदलने का रिवाज रहा है। नब्बे के दशक से राज्य में बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा की सरकार बनती आई है। 1993-1998 तक राज्य में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी तो 1998-2003 तक भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाई। वहीं 2003 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी करते हुए वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में फिर से राज्य में  सरकार बनाई, तो अगले ही विधानसभा चुनाव 2007-2012 में भाजपा फिर से सत्ता में काबिज हुई। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की और एक बार फिर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता में वापसी की और जयराम ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री बने।

2-एंटी इंकम्बेंसी और बागी भाजपा  पर पड़ गए भारी- हिमाचल में अगर भाजपा की हार होती हुई दिख रही है तो उसका बड़ा कारण बागी और भाजपा सरकार के खिलाफ रही तगड़ी एंटी इंकबेंसी माना जा रहा है। 68  सदस्यीय हिमाचल विधानसभा में एक तिहाई सीटें यानि 21 विधानसभा सीटों पर भाजपा के बागी चुनाव लड़े। विधानसभा चुनाव के दौरान बागी का मुद्दा भाजपा पर किस कदर हावी रहा कि उससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा दखल देना पड़ा।

वहीं चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के शासन काल में राज्य में बेरोजगारी के साथ महंगाई और राज्य की खराब आर्थिक हालात को जनता के बीच पुरजोर तरीके से उठाया और अब एग्जिट पोल के अनुमान बता रहे है कि जनता ने खुलकर कांग्रेस का साथ भी दिया।  

3-प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस की पहली जीत- हिमाचल प्रदेश में सत्ता में वापसी करती दिखाई दे रही कांग्रेस ने इस बार विधानसभा चुनाव प्रियंका गांधी के चेहरे को आगे करके लड़ा था। राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने से राज्य में कांग्रेस की चुनावी कमान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने हाथों में संभाली और चार चुनावी रैलियां और रोड शो किए। प्रियंका गांधी ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान हिमाचल के साथ गांधी परिवार के पुराने रिश्ते को बताकर लोगों से इमोशनल जुड़ने की जो कोशिश की वह अब कामयाब होती दिख रही है। तीन दशक बाद राज्य में अपने सबसे बड़े चेहरे वीरभद्र सिंह के बिना चुनावी मैदान में डटी कांग्रेस ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान वीरभद्र सिंह की विरासत को पूरी ताकत के साथ भुनाया।

4-मुद्दों पर भाजपा पर भारी पड़ गई कांग्रेस-हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा के पिछड़ने का बड़ा कारण हिमाचल का विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाना रहा है। हिमाचल में कांग्रेस में राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने के साथ मोदी सरकार की अग्निपथ योजना का खुलकर विरोध कर वोटर को अपने से जोड़ने की कोशिश की। वहीं इसके साथ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को डेढ़ हजार रूपए प्रतिमाह के साथ सरकार नौकरी देने से लोकलुभावन वादे किए है।