सुबह होता है चिड़चिड़ापन महसूस तो हो सकती है मॉर्निंग एंग्जायटी, जानिए इसके कारण
हार्मोनल बदलाव से लेकर नींद की कमी तक, कई कारणों से हो सकती है मॉर्निंग एंग्जायटी
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शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है।
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बुरी नींद सुबह तनाव की समस्या को बढ़ा सकती है।
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ज्यादा कैफीन का सेवन एंग्जाइटी बढ़ा सकता है।
Morning Anxiety: छोटी-छोटी बातों के चक्कर में परेशान हो जाना, व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, तनाव और चिंता में डाल सकता है। इससे दिनचर्या पर भी असर पड़ता है, और रात को भी नींद नहीं आती। यह चिंता बढ़ती जाती है और मॉर्निंग एंग्जाइटी का कारण बन सकती है। जब भी उठते हैं, तो किसी बात पर चिंतित होना या घबरा जाना, यह मॉर्निंग एंग्जाइटी का संकेत हो सकते हैं। आइए जानते हैं मॉर्निंग एंग्जायटी के कारण के बारे में...
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1. कार्टिसोल बढ़ना:
बहुत से लोगों को सुबह उठकर तनाव महसूस होता है। यह समस्या इसलिए होती है क्योंकि उनके शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, एड्रीनल ग्लैंड्स शरीर में कार्टिसोल हार्मोन उत्पन्न करते हैं, जिसे ग्लूकोकार्टोइकोड्स भी कहा जाता है। कार्टिसोल तनाव, ब्लड प्रेशर, मेटाबॉलिज्म, शुगर और सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। उठने के एक घंटे के भीतर, व्यक्ति को तनाव की समस्या का सामना करना पड़ता है, और इससे वे डिप्रेशन में भी पड़ सकते हैं।
2. नींद की कमी:
अनिद्रा और बुरी नींद सुबह को चिंता और तनाव की समस्या को बढ़ा सकती है। एनआईएच के अनुसार, रात की कम नींद के कारण सुबह की चिंता में वृद्धि हो सकती है। वे लोग जो रात में गहरी नींद लेते हैं, उन्हें दिनभर में शांति का अनुभव होता है, जिससे उनके शरीर में हैप्पी हार्मोन बनते हैं।
3. ज्यादा कैफीन और शुगर लेना:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, ज्यादा कैफीन और शुगर का सेवन एंग्जाइटी की समस्या को बढ़ा सकता है। मूड डिसऑर्डर के शिकार लोगों में, कैफीन की अधिक मात्रा तनाव की समस्या को बढ़ा सकती है, जिससे मॉर्निंग एंग्जाइटी की समस्या भी बढ़ सकती है। कॉफी या चाय की अधिक सेवन से सिरदर्द, उच्च ब्लड प्रेशर, और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
4. एंग्जाइटी डिसऑर्डर:
सुबह बढ़ने वाली चिंता एंग्जाइटी डिसऑर्डर की वजह से बढ़ती है। इसे जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर कहा जाता है। जिस व्यक्ति को यह समस्या होती है, उसमें 6 महीने तक अत्यधिक चिंता और भय का जोखिम बढ़ जाता है। इस दौरान, व्यक्ति को पुरानी थकान, ध्यान केंद्रित करने में समस्या, और बेचैनी का सामना करना पड़ता है।