माह-ए-रमजान में सेहत का भी रखें ध्यान, पढ़ें 5 काम की बातें
रमजान के दिनों में खूब पकवान बनाए खाए जाते हैं, जिनमें कुल्चा नहारी से लेकर कवाब पराठा और बिरयानी तक सब शामिल है। दिन भर के उपवास के बाद शाम को एकदम पकवानों को खाने से कोलेस्ट्रोल और रक्तचाप बढ़ सकता है, जो दिल के लिए फायदेमंद नहीं है।
जो लोग दिल के रोग के साथ डायबिटीज के भी मरीज हैं, उन्हें तो इस तरह के तेल और रोगन वाले कुल्चा नहारी, कवाब बिरयानी और चिकन करी जैसे खाद्य पदार्थों से तो बिलकुल ही बचना चाहिए क्योंकि यह आपके रक्त में शर्करा का स्तर तो बढ़ा ही देते हैं साथ ही कोलेस्ट्रोल का स्तर भी बढ़ा देते हैं।
शाम को रोजा खोलने के बाद धीरे-धीरे हलका भोजन लें।
रोजे के बाद फल और जूस लेना ज्यादा फायदेमंद रहेगा।
तेल और मसालों में बने कुल्चे नहारी, कवाब और बिरयानी से बचें।
कभी-कभी मुंह का जायका बदलने के लिए यह सब भी खाया जा सकता है, लेकिन ज्यादा नहीं।
माह-ए-रमजान के दौरान रोगी दवा लेने में लापरवाही न बरतें और सहरी तथा इफ्तारी के समय दवा जरूर खाएं। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही खतरनाक हो सकती है। इस दौरान समय समय पर अपने डाक्टर की सलाह लेते रहना भी जरूरी है।