आज हर एक शख्स की जुबां पर 'कोरोनावायरस' का नाम जरूर है। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए हर व्यक्ति डर के माहौल में जी रहा है। उनके मन में यही बात चलती है कि कहीं कोरोना का शिकार मैं न हो जाऊं! सर्दी-खांसी जिसे कोरोना से पहले यूं ही हम नजरअंदाज कर दिया करते थे, वो कोरोना काल में हमें डर का अनुभव करवा रही है।
लेकिन सच्चाई यह है कि इस वायरस से हमें डरने की नहीं, बल्कि इससे लड़ने की आवश्यकता है। अगर हम सकारात्मक सोच और पूरी हिम्मत के साथ इसका मुकाबला करें तो यह डर हम पर हावी हो ही नहीं सकता, क्योंकि सकारात्मक सोच और मजबूत मन हर परेशानी की चाभी है।
कोरोना के डर से हम अपने हर पल को सिर्फ इसी चिंता में निकाल रहे हैं कि यदि मुझे कोरोना हो गया तो क्या होगा? मेरी वजह से मेरे परिवार को इस संक्रमण से न जूझना न पड़ जाए? ऐसे तमाम सवाल हमारे जेहन में चलते हैं लेकिन यह डर आपको हर वक्त सिर्फ कमजोर करता है। इसलिए कोरोना से डरने की नहीं, बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ उसका सामना करने की जरूरत है।
दृढ़ संकल्प से कोरोना को बेहद आसानी से हराया जा सकता है, इससे घबराएं नहीं। यह हम नहीं बल्कि वे लोग कह रहे हैं, जो कोरोना को मात देकर वापस लौटे हैं। हम बात कर रहे हैं कोरोना फाइटरों की। तो आइए जानते हैं उन्हीं की जुबानी, कोरोना से जीत की कहानी।
हमने बात की शुभम से, जो कि एक मीडियाकर्मी हैं। शुभम कहते हैं कि मैं मीडिया में हूं तो कोरोना की चपेट में आने का ख़तरा शुरू से बना हुआ था। काम के दौरान ही मैं कोरोना संक्रमित हो गया। रिपोर्ट आने के शुरुआत के 3 दिनों तक मैं हायपरटेंशन में चला गया था। लेकिन काउंसलिंग की मदद से एक बात समझ आई कि अगर मन मजबूत कर लिया तो यह बीमारी सामान्य सर्दी-जुखाम से ज्यादा कुछ नहीं है।
शुभम कहते हैं कि हालांकि अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए मैं पहले से जो सतर्कता बरत रहा था, वो मेरे काम आई और अगले 10 दिन मेरे बहुत आसानी से निकल गए। तो मैं लोगों को यह ही सलाह दूंगा कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए डॉक्टर की सलाह लेकर जरूरी उपाय करते रहें और अगर बीमारी की चपेट में आ भी जाए, तो मन को मजबूत रखें।
श्रद्धा कहती हैं कि शुरुआत में गले में हल्का-सा दर्द हुआ। तबीयत ठीक नहीं लग रही थी, तो मैं नोएडा के हॉस्पिटल में क्वारंटाइन हूई। उसी दौरान मुझे पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं। फिर मेरा ट्रीटमेंट चला। डॉक्टरों की मदद से मैं ठीक होने लगी। मेरा ट्रीटमेंट 8 दिनों तक चला। खाना भी एकदम स्वाद वाला मिलता था। ऐसा नहीं कि आप बीमार हैं, तो आपको खाना मरीजों वाला ही मिले। वहीं वार्ड में साफ-सफाई पर भी पूरा ध्यान दिया जाता था। मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। आप इससे जल्द ठीक हो जाते हैं। सिर्फ खुद को सकारात्मक रखें, क्योंकि यही एक चीज है, जो आपको हर समस्या निपटने की शक्ति देती है। खुद पर नकारात्मकता को हावी न होने दें।
मीडियाकर्मी जुगल किशोर शर्मा कहते हैं कि जैसे ही पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं तो मैं बहुत डर गया था। लाइलाज बीमारी है। स्वाभाविक है कि डर लगता है। लेकिन आपको हिम्मत रखनी पड़ेगी। यदि आपको जीना है तो हिम्मत से काम लेना बहुत जरूरी है। डॉक्टर जो कहते हैं उनकी बात जरूर सुनें, उन लोगों से बिलकुल दूर रहें, जो नेगेटिव हों, आपको नेगेटिव करते हों, जो आपसे बार-बार कोरोना के लक्षण के बारे में पूछें, जैसे कहीं सांस लेने में तकलीफ तो नहीं हो रही? खांसी तो नहीं आ रही? ऐसी बातें जो बार-बार करें, उनसे दूरी बनाएं।
बस डॉक्टर जैसा कहते हैं, उनकी बातों को जरूर सुनें और हिम्मत से काम लें। खुद को पॉजिटिव रखें। ज्यादा न सोचें। हास्पिटल कैसा है? कोरोना की तो दवा ही नहीं है? मैं ठीक हो जाऊंगा या नहीं? आमतौर पर ये विचार मन में आते हैं। लेकिन इन सब बातों को सोचकर हम सिर्फ खुद को परेशान करते हैं। यदि आप खुद को मजबूत रखेंगे और सकारात्मक रखेंगे तो कोरोना से कोई खतरा नहीं है।