तेजी से बढ़ रही है सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस की समस्या, कहीं इसके अगले शिकार आप तो नहीं ?
क्या आप सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस के बारे में जानते हैं? आपके लिए जानना बेहद जरूरी है क्योंकि नौकरीपेशा लोगों में तेजी से बढ़ रही है यह समस्या।
सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस रीढ़ की हड्डियों से संबंधित समस्या है, जो लंबे समय तक गर्दन झुकाकर या देर तक कम्प्यूटर पर काम करते हैं। खास तौर से उन नौकरीपेशा लोगों में यह समस्या ज्यादा है जिनकी बैठक लंबी होती है और जो कम्प्यूटर या अन्य साधनों पर सावधान की मुद्रा में बैठकर देर तक काम करते हैं।
जब आप लंबे समय तक सीधी अवस्था में गर्दन झुकाकर बैठते हैं तो खुद भी मेरुदण्ड एवं गर्दन व कंधों में दर्द महसूस करते हैं। यह स्पांडिलाइटिक चेंज के कारण होता है।
दरअसल एक ही मुद्रा में लंबे समय तक सर्वाइकल वर्टिब्रा के प्रयोग तथा व्यायाम न करने से दो कशेरुकाओं के बीच की खाली जगह कम होने लगती है जिसे स्पांडिलाइटिक चेंज कहा जाता है। इसके कारण उस वर्टिब्रा से जुड़ी मांसपेशियों का मार्ग अवरुद्ध होने लगता है और गर्दन व उसके आसपास दर्द होने लगता है, जो आगे चलकर सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस में बदल जाता है।
अगर इस समस्या का समय रहते सही इलाज नहीं किया गया, तो स्नायुओं पर दबाव और बढ़ जाता है। ऐसा होने पर कारण कई बार हाथ और उंगलियों में दर्द होने लगता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कुछ सावधानियां रखना -
1 लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठकर एवं झुककर काम न करें। समय-समय पर ब्रेक जरूर लेते रहें ताकि मांसपेशियों को राहत मिल सके।
2 यदि आप आगे की ओर झुककर काम करते हैं, तो शाम को कम से कम 5 मिनट पीछे की ओर झुककर व्यायाम करें।
3 यदि आपकी गर्दन में दर्द होता है तो अस्थि रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर गर्दन का एक्स-रे कराएं।
4 यदि आप सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस से ग्रसित हो ही गए हैं तो कुछ परहेज करते हुए व्यायाम करें, तो जरूर लाभ मिलेगा।
5 दर्द अधिक रहने पर अल्पकालीन अल्ट्रासोनिक थैरेपी की आवश्यकता पड़ती है, जिसे घर पर आसानी से दिया जा सकता है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार आप इसे कर सकते हैं।
ये व्यायाम करेंगे मदद -
पहले दाहिने गाल पर दाईं हथेली लगाएं और दाहिनी ओर गर्दन घुमाने की कोशिश करें। ऐसे में दाएं हाथ पर दबाव रहेगा और आप उस दबाव के विपरीत दिशा में देखेंगे। ठीक उसी प्रकार बाहिने गाल पर बायां हाथ लगाएं तथा उपरोक्त अनुसार ही क्रिया करें।
अब दोनों हथेलियों को माथे पर टिकाकर माथे पर दबाव डालें। इस दबाव के विपरीत माथे से दबाव डालें। अब दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर सिर के पीछे के हिस्से पर लगाकर सिर पर आगे की ओर दबाव डालें तथा उस दबाव के विपरीत सिर को पीछे की ओर दबाएं।