कोविड वैक्सीन के बाद महिलाएं क्यों आईं ‘टेंशन’ में, क्या कहती है यह नई रिपोर्ट
वैक्सीन को लेकर कई तरह के भ्रम है, लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है, वो चौंकाने वाली है। विशेषज्ञ अभी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या वाकई यह साइड इफैक्टस हैं या यह सिर्फ भ्रांति पर आधारित मनोविज्ञान। हालांकि रिपोर्ट में सामने आया है कि वैक्सीन लगवाने वाली महिलाओं में करीब 10 टेंशन यानि चिंता के मामले सामने आए हैं।
किसी भी वैक्सीन में कम-ज्यादा साइड इफेक्ट्स अक्सर सामने आते रहे हैं। हालांकि यह असर बहुत लंबे समय तक नहीं होते हैं। न ही इसमें कोई रिस्क है। बुखार, थकान, मतली से लेकर बदन दर्द तक वैक्सीन के आम साइड इफेक्ट्स हैं। उसके अलावा, कई लोगों को खुजली, लाली, इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन का अनुभव भी हो सकता है, जो एक या दो दिन में खत्म हो जाता है। लेकिन हाल ही में जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें चिंता यानि टेंशन में बढ़ोतरी की बात सामने आई है।
खास बात यह है कि यह महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल रहा है।
दरअसल, साइड इफेक्ट्स का पता लगाने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट कहा गया है कि चिंता के मामले 10 गुना तक बढ़ गए हैं, और ये असर महिलाओं में ज्यादा देखा गया है।
रिपोर्ट में यह खुलासा भी हुआ है कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए वैक्सीन लगवाने वालों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है। आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि 12 जुलाई को जारी पहली रिपोर्ट में चिंता के दो मामलों का खुलासा हुआ था, लेकिन दूसरी रिपोर्ट में संख्या बढ़कर 20 हो गई और उनमें 15 महिलाएं शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बाद चिंता का मामला कोविड-19 की वैक्सीन से नहीं है, बल्कि भ्रम, भ्रांति या गलतफहमी से जुड़ा है। लोगों को लगता है कि उनकी परेशानी के पीछे का कारण वैक्सीन है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर निगरानी करने वाली समिति की ताजा रिपोर्ट बताती है कि अभी तक टीकाकरण से कोई मौत का मामला उजागर नहीं हुआ है।
टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती 78 मरीजों का हेल्थ रिव्यू किया गया। उससे पता चला कि 48 मामलों का संबंध टीकाकरण से था। 48 में से 28 मरीजों की तबियत बिगड़ने के पीछे वैक्सीन प्रोडक्ट्स से जुड़ी प्रतिक्रिया रही, जबकि 20 मरीजों को वैक्सीन लगवाने के बाद चिंता के लक्षण पाए गए और फिर उनको अस्पातल में भर्ती कराना पड़ा।
रिपोर्ट के मुताबिक 22 मरीजों में कोविड टीकाकरण का संबंध नहीं पाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं को सवालों पर पर्याप्त जानकारी नहीं मिलने की वजह से स्थिति जटिल होती है।