स्वास्थ्य के सुनहरे सूत्र
डॉ.सरोज कोठारी
शारीरिक स्वास्थ्य के सूत्र * प्रातः सूर्योदय के पहले उठें।* नियमित व्यायाम करें। प्रातःकालीन भ्रमण, योग एवं ध्यान भी स्वास्थ्यवर्धक है।* नियमित जीवनशैली अपनाएँ। प्रत्येक कार्य समय पर करें।* प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान से तन-मन स्वस्थ रहता है। *पौष्टिक एवं संतुलित भोजन करें। मौसम व उम्र का ध्यान रखें।* भोजन में मौसमी रेशायुक्त फलों और सब्जियों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।* दो समय के भोजन के मध्य छः से आठ घंटे का अंतर होना चाहिए। *रात्रि को सोने के दो घंटे पूर्व भोजन कर लें।* प्रतिदिन दस से बारह गिलास शुद्ध जल पिएँ।* वसायुक्त पदार्थ, ज्यादा नमक अथवा शर्करायुक्त पदार्थ कम लें और मोटापे से बचें।
* धूम्रपान, शराब, चटपटे, गरिष्ठ भोजन और 'फास्टफूड' से बचें।* सप्ताह में एक दिन उपवास रखें। इससे पाचन प्रणाली को आराम मिलता है।* दिनचर्या में शारीरिक श्रम शामिल कर जीवनशैली से संबंधित रोगों जैसे- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एसिडिटी, अनिद्रा, कैंसर और हृदय रोग से बचा जा सकता है। अपने कामकाज को थोड़ा कम करके शांत एवं तनावरहित रहकर अपने परिवार के साथ समय बिताएँ।* काम के साथ आराम भी आवश्यक है। पर्याप्त नींद लें। रात्रि में आठ से दस घंटे अवश्य सोएँ।* नियमित स्वास्थ्य जाँच करवाएँ व चिकित्सक की सलाह पर अमल करें।
मानसिक स्वास्थ्य के सूत्र* व्यायाम, काम और आराम में सामंजस्य स्थापित करें।* जीवन ईश्वर प्रदत्त एक अनुपम उपहार है। प्रातःकाल ईश्वर को इस भेंट के लिए धन्यवाद देना चाहिए।* चमत्कार कर सकते हैं, सकारात्मक विचार।* प्रसन्नचित्त रहना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है।* दिवास्वप्न आत्मविश्वास में इजाफा करते हैं।* मुग्ध करता है संगीत का जादू।* रोना भी एक स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक है।* जीवन में शौक जैसे : खेल, चित्रकारी, बागवानी, पर्यटन, संगीत या अध्ययन विकसित करें।
* 'क्षमा करो भूल जाओ' का सिद्धांत अपनाएँ।* रचनात्मक लेखन रोकता है नकारात्मक चिंतन।* मिल-जुलकर रहें और खुश रहें।* बुद्धि, भावना व आध्यात्मिकता में सामंजस्य रखें।समय, प्रयास और धन की दृष्टि से उपचार से रोकथाम बेहतर है। यदि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के सूत्रों पर अमल किया जाए तो रोगों की रोकथाम संभव है। राष्ट्र की खुशहाली व उन्नाति व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर निर्भर होती है। अतः परिवार एवं समाज का दायित्व है कि वह रोगों की रोकथाम पर ध्यान दे।