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Last Modified: शुक्रवार, 30 जून 2023 (15:08 IST)

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा पर कौन से शुभ मुहूर्त में करें पूजा और उपाय, गुरु दोष दूर करने का बढ़िया अवसर

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा पर कौन से शुभ मुहूर्त में करें पूजा और उपाय, गुरु दोष दूर करने का बढ़िया अवसर - Guru purnima july 2023
Guru Purnima 2023 : आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 3 जुलाई 2023 सोमवार के दिन रहेगी गुरु पूर्णिमा। इस आषाढ़ी पूर्णिमा का महर्षि वेद व्यास और गुरु की पूजा की जाती है। आओ जानते हैं कि इस दिन के क्या है शुभ मुहूर्त और खास योग। पूजा करने होगा बृहस्पति ग्रह का दोष दूर।
 
पूर्णिमा तिथि : शाम 05:08 तक
 
शुभ मुहूर्त :-
अमृत काल- प्रात: 04:08 से 05:34 तक।
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:16 से 01:09 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:55 से 03:48 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:19 से 07:41 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 07:20 से 08:25 तक।
 
शुभ योग :-
ब्रह्म योग- 03 जुलाई दोपहर 03:45 तक रहेगा।
एंद्र योग- 03 जुलाई दोपहर  03:45 से अगले दिन सुबह 11:49 तक रहेगा।
बुधादित्य योग- इस दिन बुध और सूर्य की युति से बुधादित्य योग रहेगा।
 
गुरु पूजा का मंत्र : ''गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'' मंत्र का जाप करें
गुरु पूजन विधि :
  1. इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि नित्यकर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करें। 
  2. इसके बाद गुरु पूजन की तैयारी करें और वेद व्याजजी के चित्र या मूर्ति की पूजा करें।
  3. पूजा के लिए सुगन्धित फूल या माला चढ़ाकर, धूप, दीप नैवेद्य लगाएं। अंत में आरती करें।
  4. इसके बा अपने गुरु से भेंट करके उन्हें पुष्‍पमाला पहनाएं।
  5. इसके बाद गुरु को वस्त्र, फल, नारियल आदि अर्पण कर कुछ दक्षिणा दें। 
  6. यथाशक्ति दक्षिणा देने के बाद उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
 
इस दिन क्या उपाय करें-
1. प्रात:काल जल्दी उठकर नदी में स्नान करते हैं। 
2. गुरु वेदव्यास की पूजा करते हैं। 
3. किसी को गुरु बनाते हैं या अपने गुरु का पूजन करते हैं।
4. व्रत रखकर पूरे दिन श्री विष्णु का ध्यान करते हैं।
5. सत्यनारायण भगवान का कथा पूजन करते हैं।
6. दान करते हैं। खासकर अन्नदान और वस्त्रदान करें।
7. इस दिन गुरु ही नहीं माता, पिता, बड़े भाई, बड़ी बहन, चाचा आदि का भी सम्मान करते हैं।
8. इस दिन गुरु से मंत्र प्राप्त भी करते हैं।
9. पितरों के तर्पण का कार्य भी किया जा सकता है।
10. कोई विद्या या सिद्धि सीखने का कार्य भी प्रारंभ किया जा सकता है।
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