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Last Modified: शनिवार, 26 नवंबर 2022 (19:45 IST)

Gujarat Elections 2022 : चुनाव से ठीक पहले 300 घर क्यों किए गए ध्वस्त? अब्दासा सीट पर बदल रहे समीकरण

Gujarat Elections 2022 : चुनाव से ठीक पहले 300 घर क्यों किए गए ध्वस्त? अब्दासा सीट पर बदल रहे समीकरण - Why are our houses demolished just ahead of polls? ask Jakhau fishermen in Gujarat
जाखौ। Gujarat Elections news 2022 : अपने अस्थायी घर के बाहर खड़ी वैशाली मंगले यह समझ नहीं पा रही हैं कि गुजरात में चुनावों से ठीक पहले जाखौ बंदरगाह पर लगभग 300 घरों, झोपड़ियों और गोदामों को 'अनधिकृत' निर्माण बताकर अधिकारियों द्वारा क्यों तोड़ दिया गया।
 
कच्छ जिले के भुज शहर से 120 किलोमीटर दूर जाखौ बंदरगाह अब्दासा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहां पहले चरण में मतदान होना है। गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2 चरणों में होने वाले चुनाव के पहले चरण का मतदान 1 दिसंबर को प्रस्तावित है।
 
क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों के एक प्रमुख स्रोत जाखौ बंदरगाह का जीर्णोद्धार एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर विपक्ष भाजपा को निशाना बनाने के लिए जोर-शोर से लगा हुआ है।
 
क्षेत्र में जल संकट, विशेष रूप से नर्मदा से पानी प्राप्त करना, शुष्क कच्छ क्षेत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है।
 
कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह जडेजा के 2020 में भाजपा में शामिल हो जाने के बाद अब्दासा सीट अब भाजपा के पास है। यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था।
 
नाम न बताने की शर्त पर एक मछली व्यापारी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बुलडोजर से घरों को गिराना एक प्रशासनिक निर्णय की तुलना में प्रतीकात्मक कार्रवाई अधिक है।
 
उन्होंने कहा कि बुलडोजर की राजनीति एक विशेष समुदाय को संदेश पहुंचाने का प्रतीक है। समुद्र तट के करीब घरों को गिराना एक सामान्य बात है।
 
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव से ठीक पहले का ही वक्त घरों को गिराने के लिए क्यों चुना गया?
 
राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह ने कहा कि हिन्दू वोटों को मजबूत करने के लिए घरों को गिराया गया था। उन्होंने कहा कि इस कवायद के दौरान कुछ हिंदू परिसंपत्तियों को गिराने का उद्देश्य सरकार को केवल निष्पक्ष दिखाना था।
 
वैशाली पूछती हैं कि क्या हम देशद्रोही हैं कि हमारे घरों को तोड़ना और हमें बाहर फेंकना (अनिवार्य) है। 
 
जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ भाजपा ने बुलडोजर की राजनीति के दावों का खंडन किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अवैध घरों को गिराना आवश्यक था।
 
कच्छ (पश्चिम) के पुलिस अधीक्षक सौरभ सिंह ने पीटीआई को बताया कि विध्वंस अचानक नहीं किए गए थे। पिछले साल उन्हें जगह खाली करने के नोटिस भेजे गए थे, लेकिन वे घरों का निर्माण करते रहे, जिसके कारण समुद्र तट की दृश्यता स्पष्ट नहीं थी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घरों को तोड़ा गया।
 
जिला प्रशासन ने पोरबंदर और द्वारका सहित राज्य के तटीय क्षेत्रों में राज्यव्यापी अभियानों के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले अवैध घरों को गिरा दिया था।
 
जाखौ के मछुआरों ने हाल ही में कच्छ के जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें तटीय सुरक्षा का हवाला देते हुए पिछले महीने ‘विध्वंस अभियान’ के दौरान उनके घरों और झोपड़ियों को तोड़े जाने के बाद खुले में रहने वाले लोगों की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया गया।
 
पेशे से मछुआरा एवं वैशाली के पति राजेश मंगले ने कहा कि हमारा गृहनगर वलसाड में है, लेकिन हम साल के लगभग 10 महीने जाखौ में रहते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र मछली पकड़ने के लिए बहुत अच्छा है।
 
नेशनल फिशवर्कर्स फोरम के उस्मान गनी ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण ने तटीय क्षेत्रों में समुद्री पारिस्थितिकी को नष्ट कर दिया है, लेकिन इन विध्वंसों ने हमारे जीवन और आजीविका को दांव पर लगा दिया है। बुलडोजर ने हमारे घरों और हमारे भविष्य को तबाह कर दिया।
 
वलसाड, जामनगर, द्वारका, और अमरेली जैसे तटीय जिलों के मछुआरे और व्यापारी जाखौ से पेशा चलाते हैं, क्योंकि उनके क्षेत्रों में समुद्र तट के किनारे औद्योगिकीकरण और रासायनिक प्रदूषण ने समुद्री पारिस्थितिकी को नष्ट कर दिया, जिससे मछली भंडारण में कमी आई। भाषा Edited by Sudhir Sharma
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