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Written By भाषा
Last Modified: आजमगढ़ , शुक्रवार, 9 मई 2014 (12:52 IST)

मुलायम त्रिकोणात्मक मुकाबले में फंसे

मुलायम त्रिकोणात्मक मुकाबले में फंसे -
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आजमगढ़। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में त्रिकोणात्मक मुकाबले में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें भाजपा उम्मीदवार रमाकांत यादव और बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली से कड़ी चुनौती मिल रही है।

रमाकांत यादव पहले उन्हीं के शिष्यत्व में थे लेकिन मतभेदों के कारण वे सन् 2009 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर सांसद चुन लिए गए।

सपा अध्यक्ष मैनपुरी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि 2 स्थानों से चुनाव लड़ने का कारण अपने छोटे पुत्र प्रतीक यादव या भतीजे तेज प्रताप यादव उर्फ तेजू की सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश है।

दोनों जगह से यदि यादव चुनाव जीतते हैं तो वे मैनपुरी संसदीय क्षेत्र छोड़ सकते हैं, क्योंकि आजमगढ़ की अपेक्षा मैनपुरी से उत्तराधिकारी को चुनाव जिताना आसान होगा।

सन् 1999 में यादव ने कन्नौज और सम्भल से चुनाव लड़ा था। कन्नौज सीट उन्होंने अपने पुत्र अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी थी। अखिलेश यादव 2000 में भी वहां से चुनाव जीते। अखिलेश ने करीब 26 वर्ष की अवस्था में लोकसभा की सदस्यता ग्रहण की थी और यह इत्तेफाक ही है कि प्रतीक और तेजू की उम्र भी 26 वर्ष के आसपास है।

यादव और मुस्लिम बाहुल्य आजमगढ़ सीट मुलायम सिंह यादव के लड़ने की वजह से सुर्खियों में है। सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी इस सीट पर यादव को उनके पुराने समर्थक रमाकांत यादव के साथ ही शाह आलम की कड़ी चुनौती मिल रही है।

आजमगढ़ से सटे वाराणसी लोकसभा सीट से नरेन्द्र मोदी के चुनाव लड़ने की वजह से इस क्षेत्र में राजनीतिक माहौल काफी गर्म है और देशभर से दोनों के समर्थक जुटे हैं।

एम्ब्रायडरी और हथकरघा उद्योग के लिए मशहूर आजमगढ़ आतंकवाद को लेकर भी सुर्खियों में रहा है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकी घटनाओं खासकर दिल्ली के बटला हाउस कांड मुठभेड से आजमगढ़ सुर्खियों में आया था।

सपा का कहना है कि उनके अध्यक्ष ने मोदी लहर को रोकने के लिए यहां से चुनाव लड़ने का फैसला लिया इसीलिए चुनाव लड़ने की घोषणा के पहले उन्होंने गत 29 अक्टूबर को पहली रैली भी यहीं की।

आजमगढ़ में करीब 25 प्रतिशत यादव और 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं इसलिए यहां से 1996 और 1999 में सपा जीतने में कामयाब रही जबकि 1998 और 2004 में यह सीट बसपा के खाते में चली गई लेकिन 2009 में भाजपा उम्मीदवार रमाकांत यादव यहां से जीते।

राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो मुलायम सिंह यादव 'माई' समीकरण के तहत ही यहां लड़ने आए हैं, लेकिन उनके सामने चुनौती यह है कि भाजपा उम्मीदवार भी यादव हैं जबकि बसपा उम्मीदवार मुस्लिम हैं। आजमगढ़ सपा का गढ़ है।

इस संसदीय क्षेत्र में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें 10 सीटों पर सपा विधायक हैं जबकि 1 पर बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली विधायक हैं। जमाली लोकसभा का भी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां करीब 30 फीसदी दलित मतदाता भी हैं। (वार्ता)