गुरुवार, 10 अप्रैल 2025
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  4. 10 important things about the purity of Gangajal

पतित पावनी मां गंगा : गंगाजल की पवित्रता की 10 महत्वपूर्ण बातें

ganga dussehra kab ka hai Date
आओ जानते हैं कि गंगाजल की पवित्रता की 10 महत्वपूर्ण बातें।
 
1. पुराणों में गंगा को स्वर्ग की नदी माना गया है इसीलिए इसका जल सबसे पवित्र माना जाता है।
 
2. गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
 
3. गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।  ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
4. शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
5. गंगा ही एकमात्र ऐसी नदी है जिसमें सभी देवी और देवताओं ने स्नान करके इसके जल को पवित्र कर दिया है। हरिद्वार में भगवान विष्णु के चरण कमल इस नदी पर पड़े थे।
 
6. गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी। प्रयाग और हरिद्वार। जबकि अन्य क्षिप्रा और गोदावरी में एक ही जगह अमृत बूंदे गिरी। अमृत की बूंदे इस गंगाजल में मिलने से संपूर्ण गंगा नदी का जल और भी ज्यादा पवित्र माना जाता है।
 
7. गंगा भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसका प्रादुर्भाव भगवान के श्रीचरणों से ही हुआ है। तभी तो गंगा (मां) के दर्शनों से आत्मा प्रफुल्लित तथा विकासोन्मुखी होती है।
8. गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और ना ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। कई घरों में से कई सालों से यह जल रखा हुआ है। गंगा नदी दुनिया की एकमात्र नदी है जिसका जल कभी सड़ता नहीं है। नदी के जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते अर्थात ये ऐसे जीवाणु हैं, जो गंदगी और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। इसके कारण ही गंगा का जल नहीं सड़ता है। मतलब यह कि वैसे जीवाणु इसमें जिंदा नहीं रह पाते हैं तो जल को सड़ाते हैं। गंगाजल में कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है।
 
9. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। इस कारण पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। इस जल को कभी भी किसी भी शुद्ध स्थान से पीया जा सकता है। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है।
 
10. गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा में है, इसलिए यह खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि गंगा के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है।
 
मंत्र- नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम: