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Ganesh visarjan muhurat 2023: अनंत चतुर्दशी इन मुहूर्त में करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन

Ganesh visarjan muhurat 2023: अनंत चतुर्दशी इन मुहूर्त में करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन - Ganesh Chaturthi immersion time 2023
Ganesh visarjan Vidhi 2023: भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर 2023 गुरुवार के दिन रहेगी। परंपरानुसार कहा जाता है कि श्री गणेश जी की प्रतिमा का शुभ मुहूर्त में विसर्जन करना चाहिए। विसर्जन का मुहूर्त और प्रमाणिक विधि जानिए यहां पर।
 
गणपति प्रतिमा विसर्जन का शुभ मुहूर्त:-
चतुर्दशी तिथि : शाम 06:49 तक रहेगी।
सुबह 06:11 से 07:40 तक रहेगा।
सुबह 10:42 से दोपहर 03:10 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:48 से 12:36 तक।
 
गणपति मूर्ति का विसर्जन का तरीका- Method of immersion of Ganpati idol:-
  • भगवान गणेशजी की विधिवत पूजा करने के बाद, हवन करें और फिर गणेश का स्वस्तिवाचन का पाठ करें।
  • अब एक लड़की का स्वच्छ पाट लें और उस पर स्वस्तिक बनाएं। फिर अक्षत रखकर पीला या गुलाबी रंग का वस्त्र बिछाएं और चारों कोनों में पूजा की सुपारी रखें।
  • अब जिस स्थान पर मूर्ति रखी थी उसे पर से उठाकर जयघोष के साथ उन्हें इस पाट पर विराजमान करें।
  • विराजमान करने के बाद गणेशजी के सामने फल, फूल, वस्त्र और मोदक के लड्डू रखें।
  • एक पार पुन: आरती करके उन्हें भोग लगाएं और नन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  • अब रेशमी वस्त्र लेकर उसमें फल, फूल, मोदक, सुपारी आदि की पोटली बांधकर गणेशजी के पास ही रख दें।
  • इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर गणपतिजी से प्रार्थना करें। अगर 10 दिनों की पूजा के दौरान को भूल-चूक या गलती हो गई हो तो क्षमा मांगे।
  • अब सभी गणपति बप्पा मोरिया के नारे लगाते हुए बप्पा को पाट सहित उठकर अपने सिर या कंधे पर रखें और जयकारे के साथ घर से विदा करने विसर्जन स्थान पर ले जाएं।
  • विसर्जन के स्थान पर ध्यान रखें कि चीजों को फेंके नहीं, बल्कि पूरे मान सम्मान के साथ विसर्जित करें। इसके बाद हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हुए अगले बरस आने का निवेदन करते हुए घर आ जाएं। विसर्जन के समय उनकी कर्पूर से आरती जरूर करें।
श्री गणेश विसर्जन मंत्र 1
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
 
श्री गणेश विसर्जन मंत्र 2
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर।
मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च॥

 
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