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गणेशजी ने कितनी बार जन्म लिया, कितने हैं उनके अवतार?

गणेशजी ने कितनी बार जन्म लिया, कितने हैं उनके अवतार? - Ganesh ji ke kitne jama hue hain
Ganesh Chaturthi Utsav 2023: 19 सितंबर 2023 से गणेश उत्सव प्रारंभ हो गए हैं। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर भगवान गणेशजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। परंतु पुराणों के अनुसार उन्होंने तो कई जन्म लिए थे तो फिर क्या सभी जन्मों में उन्होंने चतुर्थी को ही जन्म लिया था क्या? खैर जो भी हो आओ जानते हैं कि गणेशजी ने कितनी बार जन्म लिया या कहें कि कितने हैं उनके अवतार? 
 
  • अष्ट विनायक की भी प्रसिद्धि है। माना जाता है कि गणेशजी का प्रथम नाम विनायक है।
  • गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया।
  • धर्मशात्रों के अनुसार गणपति ने 64 अवतार लिए, लेकिन 12 अवतार प्रख्यात माने जाते हैं जिसकी पूजा की जाती है। 
  • यह भी कहा जाता है कि गणेशजी के हर अवतार का रंग भी अलग ही था।
  • परंतु शिवपुराण के अनुसार गणेशजी के शरीर का मुख्य रंग लाल तथा हरा है। 
  • इसमें लाल रंग शक्ति और हरा रंग समृद्ध‍ि का प्रतीक माना जाता है। 
  • इसका आशय है कि जहां गणेशजी हैं, वहां शक्ति और समृद्ध‍ि दोनों का वास है।
  • गणेशजी सतयुग में सिंह, त्रेता में मयूर, द्वापर में मूषक और कलिकाल में घोड़े पर सवार बताए जाते हैं।
  1. गणेशजी ने सतयुग में कश्यप व अदिति के यहां महोत्कट विनायक नाम से जन्म लेकर देवांतक और नरांतक का वध किया था। त्रेतायुग में उन्होंने उमा के गर्भ से जन्म लिया और उनका नाम गुणेश रखा गया। सिंधु नामक दैत्य का विनाश करने के बाद वे मयुरेश्वर नाम से विख्‍यात हुए।
  2. द्वापर में माता पार्वती के यहां पुन: जन्म लिया और वे गणेश कहलाए। ऋषि पराशर ने उनका पालन पोषण किया और उन्होंने वेदव्यास के विनय करने पर सशर्त महाभारत लिखी।
  3. कहते हैं कि द्वापर युग में वे ऋषि पराशर के यहां गजमुख नाम से जन्मे थे। उनका वाहन मूषक था, जो कि अपने पूर्व जन्म में एक गंधर्व था। 
  4. इस गंधर्व ने सौभरि ऋषि की पत्नी पर कुदृष्टि डाली थी जिसके चलते इसको मूषक योनि में रहने का श्राप मिला था। इस मूषक का नाम डिंक है। 
  • कहते हैं कि श्रीगणेशजी कलियुग के अंत में अवतार लेंगे। इस युग में उनका नाम धूम्रवर्ण या शूर्पकर्ण होगा। वे देवदत्त नाम के नीले रंग के घोड़े पर चारभुजा से युक्त होकर सवार होंगे और उनके हाथ में खड्ग होगा। वे अपनी सेना के द्वारा पापियों का नाश करेंगे और सतयुग का सूत्रपात करेंगे। इस दौरान वे कल्कि अवतार का साथ देंगे।
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