होली धमाका : रंग में व्यंग्य
- एमके सांघी
आपने रंग को देखा होगाआपने भंग को देखा होगा, आपने रंग में भंग को भी देखा होगाआइए आज मैं आपको रंग में भीगा हास्य व्यंग्य दिखाता हूं। होली और महंगाईअच्छा हुआ दोस्त जो तूनेहोली पर रंग लगा कर हंसा दियावरना अपने चेहरे का रंग तोमहंगाई ने कब का उड़ा दिया। दुश्मनी भुलानाहिंदुस्तानियों के लिएकितना आसान हैदुश्मनी को भुलानाबस दुश्मन को घेरनाऔर उसे रंग है लगाना।दुश्मनी निभानापाकिस्तानियों के लिएकितना आसान हैदुश्मनी को निभानाबस एक साइकिल एक टिफिन लेनाऔर उसमें बम लगाना। बचना प्रियेमेरे रंग तुम्हारा चेहराहोली के दिन बिठाना पहरादिल तुम्हारा पास है मेरे अब बचाना अपना चेहरा। ध्वजों ने खेली होलीअलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,एक-दूसरे को खूब रंगाबाद में सबने देखा तो पता चलाउनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा। मोहब्बत के रंगहोली के रंग आज लगेंगेकल उतर जाएंगेमेरी मोहब्बत के रंग मगरजिन्दगी भर साथ निभाएंगे।रंगों से एलर्जीआपको रंगों से एलर्जी हैचलिए आपको रंग नहीं लगाएंगेमगर साथ तो बैठिएगारंगीन बातों से ही होली मनाएंगे।