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Written By WD

तुम जरूर आओगे मित्र...

तुम जरूर आओगे मित्र... -
विशाल मिश्रा

सच्चा दोस्त किस्मत वालों को ही मिलता है। आसान नहीं है दोस्त मिलना और खुद किसी का दोस्त बन जाना। क्योंकि आज हम जिन लोगों के साथ घूमते-फिरते हैं। पिक्चर देखते हैं। टाइम पास करने के लिए हँस-बोल लेते हैं। उन्हें ही दोस्त कहने और समझने भी लग जाते हैं।

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दोस्ती एक अनमोल रिश्ता है जिसमें आदमी कब बँध जाता है। पता ही नहीं चलता। मुश्किल समय में काम आने वाला, नेक सलाह देने वाला मित्र ही सच्चा मित्र है। सच्ची मित्रता को किसी फ्रेंडशिप डे या फ्रेंडशिप बेल्ट जैसी औपचारिकताओं की जरूरत नहीं होती। उनके लिए प्रत्येक दिन ही मित्रता दिवस होता है। यह दिन शायद उन मित्रों के लिए बना हो जोकि बहुत ही मुश्किल से साल भर में यदा-कदा ही मिल पाते हों तो कम से कम इस दिन उन्हें याद कर लें।

एक बार ‍मेरा मित्र बोला। यार मुझे नई नौकरी का ऑफर मिला है। दूसरे शहर जाना होगा, पैसा भी वर्तमान नौकरी से अच्छा मिलेगा, और उसमें विदेश जाने की भी संभावना है। लेकिन काम कुछ अवैध था जैसे तस्करी आदि। मैंने उससे कहा ऐसे काम से तो तुम्हारा अभी वाली नौकरी अच्छी है।

  जब जॉन के साथियों ने पूछा कि अंत समय में सुरजीत तुमसे क्या कह गया। तो जॉन ने कहा सुरजीत कह रहा था मुझे पूरा यकीन था मित्र तुम जरूर आओगे।      
लेकिन उसे मेरी इस प्रतिक्रिया में सलाह कम ईर्ष्या ज्यादा नजर आई। वह पीठ पीछे अन्य दोस्तों को भी यही बोलता रहा कहने को तो वह दोस्त है मेरा लेकिन जलपन रखता है। जब उसने जाने का निश्चय कर लिया तो अपने परिजनों से इस बारे में बात की। उन्होंने भी उसे यही सलाह दी कि तुम्हारा मित्र ही सही कह रहा है। तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ।

श्रेष्ठ मित्र उसे कहा गया है जो भाई समान व्यवहार करे तथा भाई वह श्रेष्ठ है जो मित्र समान व्यवहार करे। मित्र के अवगुणों को या जो बात आपको अच्छी नहीं लगे उसे हमेशा रेत पर लिखकर आएँ ताकि वे जल्द से जल्द मिट जाएँ जबकि उसके गुणों और अच्छी बातों को चट्‍टान पर लिखकर आएँ जिससे वे काफी लंबे समय तक बने रहें।

एक बार नियंत्रण रेखा पर जंग छिड़ी हुई थी। सेना में दो मित्र सुरजीत और जॉन थे। लेकिन दोनों की बटालियन अलग-अलग थीं। युद्ध के मोर्चे पर अचानक सुरजीत घायल हो गया और उसे अपने‍ मित्र की याद आई और उसने मदद के लिए जॉन को पुकारा। जॉन ने अपने मेजर से जाने की इजाजत माँगी लेकिन उस समय उसे वहाँ नहीं जाने दिया गया।

कुछ घंटों के बाद जब जॉन पहुँचा तो सुरजीत जीवन की अंतिम घड़ियाँ गिन रहा था और जॉन से कुछ बोलने के बाद उसकी साँस उखड़ गई। जब जॉन के साथियों ने पूछा कि अंत समय में सुरजीत तुमसे क्या कह गया। तो जॉन ने कहा सुरजीत कह रहा था मुझे पूरा यकीन था मित्र तुम जरूर आओगे। अगस्त माह का प्रथम रविवार 'फ्रेंडशिप डे' के रूप में मनाया जाता है। हैप्पी फ्रेंडशिप डे। तो यदि आपका कोई दोस्त नहीं है तो आज के दिन किसी को अपना बनाकर या किसी के होकर इस रिश्ते से बँध जाएँ।