वर्ष 2002 में जब गुजरात में दंगे हुए थे तब असंख्य लोग मारे गए थे। लोगों में मतभेद, द्वेष, घृणा जैसी भावनाएँ पनप रही थीं। पूरा समाज इस आग में जल रहा था।
हर किसी के जीवन में कभी ना कभी कुछ ऐसे पल आते हैं जब वो अपने आप को हज़ारों लोगों के बीच में रहकर भी अकेला पाता है। अपने दफ्तर में या किसी पार्टी में भी उसे यही महसूस होता है कि वह कितना अकेला है।
व्यक्तित्व की समानता ही दोस्ती को जन्म देती है और इसमें व्यक्ति पृष्ठभूमि, धर्म, शिक्षा आदि के कोई मायने नहीं होते हैं। वर्तमान में लोगों के पास समय नहीं है। इस कारण दोस्ती में घनिष्ठता में कमी हो रही है और गंभीरता भी नहीं है।
मित्रता दिवस पर आप मित्रों की महकती यादों को बाँट सकते हैं हमारे साथ । शामिल हो जाए एक संदेश भेज कर इस मित्रोत्सव में।
दोस्त और दोस्तों से जुड़ी मीठी कोमल यादों का स्वागत है यहाँ।
अपने आपको एक अच्छा मित्र साबित करना और अपने पास अच्छे मित्र होना, ये दो ऐसी चीजें हैं जो न केवल आपकी दिनचर्या को खुशनुमा बनाती हैं बल्कि आप जीवनभर आत्मसंतोष को अनुभव करते हैं।
दोस्ती बॉलीवुड के निर्माताओं का प्रिय विषय रहा है। दोस्ती की परिभाषा, मर्यादा, त्याग, आपसी भावना का खुलकर इस्तेमाल किया गया है। दोस्ती शब्द को लेकर ही कई फिल्में बन चुकी हैं।
कृति प्रदत्त रिश्तों का बंधन जन्म के साथ ही जुड़ा होता है। इन पारिवारिक रिश्तों के साथ-साथ एक बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता होता है- दोस्ती का रिश्ता, जो हम अपने विवेक से बनाते हैं।