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Written By ND

भारतीय डिजाइनरों को आज भी लुभाती है साड़ी

भारतीय डिजाइनरों को आज भी लुभाती है साड़ी -
- मेहर केसलिनो

यह देखकर अच्छा लगता है कि पश्चिमी परिधान पसंद करने वाले भारतीय डिजाइनर अब भी साड़ी पसंद करते हैं।

हाल ही में संपन्न 'लैक्मे इंडिया फैशन वीक' में साड़ी को विभिन्न शैलियों और सजावट के साथ पेश किया गया, जिससे किसी भी भारतीय महिला को खुशी होती। डिजाइनर आशिमा और लीना ने अपने कलेक्शन में साड़ी को शामिल किया। इनमें सबसे खूबसूरत थी गुलाबी रंग की वह साड़ी जिसके ब्लाउज पर मोतियों और रेशम से बारीक कशीदाकारी की गई थी।

अनामिका खन्ना का साड़ी कलेक्शन नाटकीय रूप से औपचारिक और शाम को पहने जाने वाले रंगों में था। इनमें काले, गुलाबी और लाल रंग की बॉर्डर वाली साड़ियों से पारसी गारा साड़ियों की याद ताजा हो गई। हालाँकि सभी मॉडलों से साड़ी को पारंपरिक ढंग से ही पहनवाया था लेकिन पल्लू को कंधे पर लेने के ढंग अलग-अलग थे। पश्चिमी शैली की पोशाकों के साथ डिजाइनर मालिनी रमानी ने नीचे गले के ब्लाउज बनाकर अंतर लाने की कोशिश की, जबकि कुछ डिजाइनरों ने कशीदाकारी के ब्लाउजों पर जोर दिया।

अपर्णा भार्गव ने दो रंगों के समन्वय को सुंदर रूप से प्रस्तुत किया। नीला-हरा, लाल-मैरून जैसे मिश्रण काफी खूबसूरत रहे। जतिन कोचर ने अधिक ध्यान पश्चिमी परिधानों पर दिया, साड़ियों को अधिक सजाया-बनाया नहीं। अनंत लेबल वाले परिधानों में भारी कशीदाकारी की गई साड़ियाँ थीं, जिनके साथ रुपहरे या सुनहरे ब्लाउज पेश किए थे।

निक्की महाजन ने दो शेडों में प्रिंट और सादे कपड़ों की चमकदार हरी, पीली, नीली और लाल साड़ियाँ पेश की। इनके साथ इन्हीं रंगों के चमकदार ब्लाउज थे। इन ब्लाउजों की कोहनी तक लंबी बाँहें थीं। जबकि गला काफी गहरा कटा हुआ रखा गया था। रन्ना गिल की साड़ियाँ तरह-तरह की कशीदाकारी से बनाई गई थीं, जिनके ब्लाउज, चमकदार थे। बॉर्डर की साड़ियाँ शेडेड रंगों में थीं। दिल्ली के शांतनु और निखिल ने सिल्क और ऑर्गेंजा पर कशीदाकारी के साथ एक कंधे या हॉल्टरनुमा चोली पेश की।

पूनम भगत ने अपने कलेक्शन को 'नॉस्टेल्जिया' नाम दिया था। जिसमें कसीदा की गई साड़ियों के साथ बिना बाँहों के ब्लाउज थे। अनुराधा वकील की साड़ियाँ धरती के रंगों के प्रिंट वाली थीं, इनमें लाल, नारंगी, काले आदि रंग भी शामिल थे। स्टूडियो वलय ने स्लेटी और मैरून साड़ी को 'क्रॉस ओवर' चोली के साथ पेश किया था, जिसमें चोली की बाँहें सुनहरी भूरे रंग में बनाई गई थीं। जे.जे. ने क्रेप ऑ टसर के मिश्रित कपड़े को पेश किया।

मनीष मल्होत्रा ने शिफॉन और जॉर्जेट की साड़ियाँ पेश कीं जिन पर बारीक जड़ाऊ बॉर्डर थे। खूबानी, नीले, बैंगनी, सफेद रंग की साड़ियाँ छोटे बस्टियरों के साथ पहनी गईं जो जाली से ढँके गए थे। 'शिमर ऑफ कॉन्फिडेंस' नामक उनका कलेक्शन हर महिला की चाहत हो सकती है।

प्रिंटेड स्कर्ट पर पहनी जाने वाली पहले से सिली साड़ियाँ पेश कीं रीना ढाका ने, जबकि रोहित बाल ने परंपरा से हटते हुए कसीदाकारी किए स्कर्टों पर साड़ी पहनवाई। उनका प्रमुख कलेक्शन काले और लाल रंग का मिश्रण था, जिसका नाम था 'दि शाइन ऑफ मैटल।'

रीना और रोहित की साड़ियों ने पारंपरिक साड़ी पहनने वालों को भले ही नर्वस किया हो, लेकिन वे आकर्षक तो थीं ही। साड़ियों के लिए क्रेप, जॉर्जेट, शिफॉन, सिल्क, नेट, चमोई आदि फेब्रिक चुनी गई थीं। जिनके रंग चमकदार और जीवंत थे।