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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 6 मार्च 2021 (12:23 IST)

Exclusive: किसान आंदोलन के मंच पर नेताओं की एंट्री गलत,100 दिन के किसान आंदोलन की धार गांधीवाद: शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी'

100 दिन के किसान आंदोलन में दिखे कई उतार-चढ़ाव

Exclusive: किसान आंदोलन के मंच पर नेताओं की एंट्री गलत,100 दिन के किसान आंदोलन की धार गांधीवाद: शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी' - The entry of leaders on the platform of farmers 'movement is wrong, Gandhism is the edge of the farmers movement: Shivkumar Sharma Kakka ji
मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन के आज 100 दिन पूरे हो गए हैं। पिछले 100 दिन से देश भर के किसान कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत है लेकिन सरकार ने कानूनों को वापस  लेने से साफ इंकार कर दिया है। ऐसे में आज किसान सुबह 11 से शाम 4 बजे तक KMP एक्सप्रेस-वे जाम कर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे है।

किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने के बाद ऐसे में अब किसान आंदोलन की आगे की क्या राह होगी और पूरे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा अब आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाएगा इसको लेकर ‘वेबदुनिया’ ने संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य और किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्का जी से खास बातचीत की।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े अहिंसात्मक आंदोलन ने 100 दिन पूरे कर लिए है। इन 100 दिनों में आंदोलन ने कई प्रकार के उतार-चढ़ाव भी देखे हैं जो स्वाभाविक भी है। वह कहते हैं कि किसान आंदोलन इसलिए देश में सबसे लंबा चलने वाला आंदोलन बन गया है कि क्योंकि आंदोलन में गांधीवाद की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। किसान आंदोलन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि गांधीजी आज भी प्रासंगिक है।

लोकतंत्र में जनता की चलती है तानाशाही की नहीं-किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने और सरकार से बातचीत बंद होने पर किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि बातचीत बंद होना सरकार का विषय है और इसको सरकार जाने लेकिन देश ने आजादी की लंबी लड़ाई लड़ी और देखी है। हमारा आंदोलन निरंतर जारी रहेगा, आंदोलन में उतार-चढ़ाव आते भी रहेंगे लेकिन हमारा आंदोलन लगातार अहिंसात्मक रूप से चलता रहेगा। वह कहते हैं कि लोकतंत्र में जनता की बात मानी जाती है तानाशाही कि नहीं और अंत में किसानों की ही जीत होगी।  
 
किसान पंचायत अब आंदोलन का स्वरूप- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि आंदोलन अब दिल्ली से निकलकर किसान पंचायतों के जरिए कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत तक चलेगा। हमने तय किया है कि किसान पंचायतों के जरिए देश भर के किसानों को कृषि कानून के बारे में समझाएंगे क्योंकि तीनों कृषि कानूनों को आम किसानों को समझना थोड़ा कठिन है। पूरे देश में अब महापंचायतों का दौर चल रहा है।
किसान आंदोलन के मंच पर नेताओं की एंट्री गलत-संयुक्त किसान मोर्चा के चलाए जा रहे  किसान आंदोलन के मंच पर लगातार राजनीतिक दलों के नेताओं के पहुंचने और सियासी दलों की किसान पंचायत पर किसान नेता शिवकुमार शर्मा साफ कहते हैं कि इस बारे संयुक्त किसान मोर्चा का नजरिया पहले दिन से ही साफ है कि किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं संयुक्त किसान मोर्चा के मंच पर एंट्री नहीं दी जाएगी। वह कहते है कि जब आंदोलन प्रारंभ किया था तो हमने एक नियम तय किया था सियासी दलों के नेता हमारे मंच पर नहीं आएंगे। सियासी दल अपना आयोजन कर सकते हैं लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।
 
किसान आंदोलन में शामिल किसान नेताओं के लगातार नए-नए बयान पर शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि कोई भी व्यक्तिगत तौर पर कोई भी कह सकता है लेकिन वह संयुक्त किसान मोर्चा का नजरिया नहीं हो सकता। 'वेबदुनिया' के जरिए किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते है कि मेरी किसान भाइयों से अपील है कि मोर्चा ने जाम का जितनी समय एलान किया है उस समय सीमा का ध्यान रखें। आंदोलन के दौरान पूरे समय अहिंसात्मक रहने की अपील भी वह किसानों से करते है। 
 
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